डाक्टर बिरादरी के चेहरे खिले, कहा सेंट्रलाइज्ड एग्जिड एग्जाम निर्णय है वैरी गुड! -मंशा है कि देश विदेश पढ़ने वाले छात्रों का टेलैंट बाहर आए -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केबिनेट का है यह एतिहासिक फैसला

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले भारतीय देश विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों का चौथे वर्ष के आखिर में नीट की तर्ज पर ही सेंट्रलाइज्ड एग्जिट एग्जाम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हषर्वर्धन को इस एतिहासिक निर्णय के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन समेत देश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे शीषर्स्थ संस्थानों ने तारीफ की है। उनका कहना है कि ऐसी व्यवस्था से यह तय है कि भारतीय डाक्टरों के काबिलियत की डंका दुनियाभर में बजेगा। वैसे अब तक जो भी प्रवेश के लिए परीक्षाएं ली जाती रही है उस स्थिति से भी युवा डाक्टरों की मानसिक स्थिति सुधरेगी और बौद्धिक क्षमता का बृहद तरीके से विस्तार कर सकेंगे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव एवं नेशनल डाक्टर्स फोरम के चेयरमैन डा. प्रेम अग्रवाल ने एमबीबीएस के दौरान ही एग्जिट एग्जाम होने से छात्रों पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा और उनकी प्रतिभा का विकास भी होगा। एग्जिट एग्जाम पास करने पर ही छात्रों को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलता है। विकसित देशों में चूंकि ऐसी पहले से ही व्यवस्था है। एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह कार्य पहले ही किया जाना चाहिए था। अब निजी हो या सरकारी सभी मेडिकल कालेज प्रबंधन क साथ ही छात्रों को भी राउंड द क्लाक गंभीरता पूर्वक पढ़ाई करनी होगी। ऐसा नहीं करने वालों को सेंट्रलाइज्ड एग्जिट एग्जाम में उत्तीर्ण होने में मुश्किल आ सकती है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. गिरीश त्यागी ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह तय है कि अब भारतीय छात्रों को अपनी काबिलियत साबित करने के लिए बारंबार परीक्षा नहीं देगी होगी। कार्डियालॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के सदस्य एवं मैक्स कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार ने इसे यंग टेलैंट डाक्टरों की अब यह तय है कि कमी दूर होगी। वहीं इंडियन आप्थलमालोजी सोसायटी के अध्यक्ष एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. संजय चौधरी ने कहा कि एमबीबीएस में प्रवेश के बाद अन्तिम सत्रों तक युवा डाक्टरों को गंभीरता पूर्वक अध्ययन करने के लिए यह पहल प्रेरित करती रहेगी। एक्जीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद में डिग्री का पंजीकरण होगा। इसके बाद ही वह खुद को डाक्टर कह सकेगा और कहीं पर प्रैक्टिस करने लायक होगा।
यह भी:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट हिंदी और अंग्रेजी में अपलोड किया गया था। राज्य, शिक्षाविद्, अभिभावक व छात्र 30 जून तक ड्राफ्ट पर अपने सुझाव भेजने की सलाह दी गई थी। सुझावों के आधार पर ड्राफ्ट में बदलाव किया गया। इसके तहत नीट की तर्ज पर एमबीबीएस सेंट्रलाइज्ड एग्जिट एग्जाम का नियम लागू करना चाहिए। इसके अलावा कमेटी ने डेंटल एजुकेशन समेत अन्य मेडिकल कोर्स में एग्जिट एग्जाम शामिल करने का सुझाव दिया। जिसे केबिनेट पास कर दिया है।

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