सावधान : दरवाजे, गिल्र, फोन, की-बोर्ड छूने से भी फैल सकता है स्वाइन फ्लू -स्वास्थ्य विभान ने जारी की एडवाइजरी -हाथ मिलाने-गले लगने से पहले भी एक बार जरूर सोचें

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ज्ञानप्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली, राजधानी में जीवन के लिए अति खतरनाक वायरस एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू का प्रकोप थमने का नाम हीं नहीं ले रहा है। सूरते हाल यह है कि स्वाइन फ्लू आईसोलेशन वार्ड में संदिग्धों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अनुमान है कि सोमवार को करीब दो हजार से अधिक संदिग्धों का राजधानी के 84 सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में पहुंचे। इस बीच स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। इसके जरिए सरकार ने लोगों को सर्तकता बरतने की हिदायत दी है। सरकार की ओर से कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचें। इतना ही नहीं किसी से न तो हाथ मिलाएं और न ही गले लगें। सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि यह वायरस हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। दरवाजे, फोन, की-बोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं। अगर इन चीजों का इस्तेमाल पहले किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
सरकार ने स्वाइन फ्लू की तीन कैटेगिरी बताई हैं:
केटेगिरी-ए
लक्षण : बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना।
इलाज : इस केटेगिरी के मरीजों का इलाज लक्षणों पर आधारित होता है। ऐसे में टेमीफ्लू दवा लेने या जांच की जरूरत नहीं होती। मरीज को घर पर ही आराम करना चाहिए।

केटेगिरी-बी
लक्षण : इन मरीजों में केटेगिरी-ए के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है। इन मरीजों में केटेगिरी-ए के लक्षणों के साथ कई हाई रिस्क कंडीशन होती हैं। गर्भवती महिलाएं, 65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति, फेफड़े की बीमारी, दिल की बीमारी, गुर्दे की बीमारी, शुगर, कैंसर इत्यादि से पीड़ति व्यक्ति और छोटे बच्चे जल्द इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं।
इलाज : इस कैटेगिरी के मरीजों को मौसमी इन्फ्लुएंजा ए एच 1 एन 1 की दवा टैमिफ्लू दी जाती है। इनको भी जांच की जरूरत नहीं होती। मरीज को घर पर ही आराम करना चाहिए।

केटेगरी-सी
इस केटेगरी के मरीजों में ए और बी केटेगिरी के रोगियों के लक्षणों के अलावा मरीज को सांस लेने में दिक्कत, छाती में तेज दर्द, ब्लड प्रेशर कम होना, बलगम में खून आना और नाखून नीले पड़ जाते हैं।
इलाज : इन रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए व रोगी को अलग से रखा जाना चाहिए। रोगी को टैमिफ्लू दी जाती है और जांच भी आवश्यक है।

ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुखार एंव खांसी, गला खराब होना, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ एवं अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं।

स्वाइन फ्लू हो तो ये करें
-खांसने और छींकने के दौरान अपनी नाक व मुंह को कपड़े अथवा रु माल से अवश्य ढकें।
-अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमित धोएं।
-भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
-फ्लू से संक्रमित हों तो घर पर ही आराम करें।
-फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से एक हाथ तक की दूरी बनाए रखें।
-पर्याप्त नींद और आराम करें।
-पर्याप्त मात्रा में पानी / तरल पदार्थ पिएं और पोषक आहार खाएं
-फ्लू से संक्रमण का संदेह हो तो चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

यह न करें
-गंदे हाथों से आंख, नाक अथवा मुंह को न छुएं।
-किसी को मिलने के दौरान हाथ मिलाने, गले लगने और चूमने से बचें।
-सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें।
-बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाई न लें।
-इस्तेमाल किए हुए नेपकिन, टिशू पेपर इत्यादि खुले में न फेंकें।
-फ्लू वायरस से दूषित जगहों (रेलिंग, दरवाज़े इत्यादि) को न छूएं
-सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान न करें।
-अनावश्यक एच 1 एन 1 की जांचें न कराएं।

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