विधानसभा चुनाव सिर्फ दो पाटियों के बीच नहीं, बल्कि देश के भविष्य बनाने के दो मॉडल का चुनाव है : मनीष सिसोदिया

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भारत चौहान नई दिल्ली , दिल्ली विधानसभा का चुनाव न सिर्फ दो पार्टियों के बीच का चुनाव है, बल्कि यह देश के भविष्य बनाने के दो मॉडल का चुनाव है। अरविंद केजरीवाल सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन एवं बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए बहुत बड़े कदम उठाए हैं। एक तरफ अरविंद केजरीवाल सरकार का शिक्षा माॅडल है। जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस और एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम ने बच्चों को अपने परिवारों से जोड़ा और देश की आर्थिक व्यवस्था में योगदान देने के लिए तैयार किया। दूसरी तरफ, भाजपा और कांग्रेस का शिक्षा माॅडल है। जिसमें दोनों गांधी जी और नेहरू जी को पढ़ाने या नहीं पढ़ाने को लेकर विवाद कर रहे हैं और महाभारत में इंटरनेट था या नहीं था, जैसे मुद्दों पर बहस कर रहे हैं। शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व उप मुख्यमंत्री मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह बातें कही।

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि इस बार का चुनाव सरकार द्वारा किए गए कामों के आधार पर होना है और उसमें भी शिक्षा के क्षेत्र में हुए काम इस बार के चुनाव में अहम मुद्दा हैं। उन्होंने बताया कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन एवं दिल्ली के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए बहुत बड़े-बड़े कदम उठाए हैं। यह कदम न केवल बच्चों की शिक्षा में और उनके परिवारों को आर्थिक रूप से सहायता पहुंचाने की दिशा में बेहतर कदम हैं, बल्कि देश को विकास की ओर ले जाने वाली एक सकारात्मक सोच को विकसित करने की दिशा में भी बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमारे देश में दो प्रकार के शिक्षा मॉडल हैं, एक दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का और दूसरा बाकी राज्यों की भाजपा और कांग्रेस सरकारों का।

हैप्पीनेस करिकुलम की वजह से बच्चों में बढ़ा माता-पिता के प्रति सम्मान : मनीष सिसोदिया

दोनों प्रकार के शिक्षा मॉडलों की तुलना करते हुए उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सभी सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की। यह दिल्ली के सभी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक लागू किया गया। इसे सरकारी स्कूलों के साथ अभिभावकों की मांग पर कई प्राइवेट स्कूलों ने अपनाया। इस कार्यक्रम के बेहद ही अद्भुत नतीजे देखने को मिले। अध्यापकों ने बताया कि बच्चों का अब पहले से अधिक पढ़ाई पर ध्यान है। बच्चों में बहुत अधिक परिवर्तन आया है। अभिभावकों से बात करने पर भी पता चला कि बच्चे अब बड़े ही संवेदनशील हो गए हैं। परिवार में माता-पिता के प्रति भाई-बहनों के प्रति एक सम्मान का भाव बच्चों के अंदर और अधिक बढ़ रहा है। हैप्पीनेस करिकुलम की लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि देश के लगभग बीस राज्यों के शिक्षा मंत्री और अफसर जैसे मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखण्ड, महाराष्ट्र आदि दिल्ली आकर हैप्पीनेस कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने राज्यों में इसे लागू करने पर कार्य कर रहे हैं। खुद भाजपा शासित राज्यों की सरकारें भी हैप्पीनेस करिकुलम कार्यक्रम को समझ कर अपने राज्यों में इसे लागू करने की दिशा में काम कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों की जरूरत न केवल स्कूलों में, बल्कि न्यायालय में भी है। यदि यह कार्यक्रम न्यायालय में सही तरीके से लागू हो जाए, तो न्यायालयों में चल रहे मुकदमों की संख्या निरंतर घटती चली जाएगी।

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