ज्ञान प्रकाश
नई दिल्ली एक दिन पहले नवजात शिशु को आईसीयू में बेहतर केयर न मिलने के चलते वापस लौटे बेबस पिता केबाद सफदरजंग अस्पताल में एक और मरीज को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। आरोप है कि वेंटीलेटर न मिलने की वजह से सोमवार रात इमरजेंसी वार्ड में एक 12 वर्षीय किशोरी की मौत हो गई। परिजनों की मानें तो डॉक्टरों से मरीज की तबियत बिगड.ने की बार बार दुहाई दी गई। लेकिन डॉक्टरों ने बाद में देखने का बोल आगे बढ़ गए।
घटनाक्रम:
सोमवार रात ही दो और मरीजों की वेंटीलेटर न मिलने की वजह से मौत हुई है। जिसमें उत्तर प्रदेश के एटा जिला निवासी एक 60 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल है। बताया जा रहा है कि होली के आसपास ही इस बुजुर्ग मरीज के दिमाग का ऑपरेशन हुआ था। लेकिन सोमवार रात इसकी तबियत बिगड़ गई थी। बहरहाल इन मौतों पर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त वेंटिलेटर है। लेकिन जब मरीज ज्यादा होते हैं तो मरीज को मैनुअल वेंटिलेटर देते हैं। चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेंद्र कुमार क अनुसार चिकित्सीय लापरवाही को लेकर उनके पास शिकायत नहीं आई है। अगर परिजन शिकायत करते हैं तो वे इसकी उच्च स्तरीय जांच कराएंगे।
होली पर पापा को लगाया था गुलाल:
संगम विहार निवासी विनोद बताते हैं कि उनकी 12 वर्षीय बच्ची रितु कुमारी को 26 फरवरी को माइनर ब्रेन सर्जरी के लिए भर्ती कराया था। होली के दिन उसने अपने पापा को गुलाल लगाकर कहा था कि आप चिंता मत करो, मैं ठीक हो जाऊंगी। विनोद ने बताया कि अस्पताल बुलाने के बाद भी ऑपरेशन नहीं किया। जब वे चिकित्सा अधीक्षक के पास पहुंचे तो 2 मार्च को बच्ची का ऑपरेशन किया। लेकिन डॉक्टरों को शिकायत पसंद नहीं आई और उन्होंने एमएस की लिखी सिफारशी चिट्ठी को वहीं फाड़कर उसके मुंह पर फेंकते हुए कहा कि जिससे शिकायत करनी हो कर लो, मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे।
चार दिन तक बेटी को रखा भूखा:
बेटी को याद कर सिसकते हुए विनोद ने कहा कि ऑपरेशन से पहले चार दिन तक उनकी बेटी को भूखा रखा था। पहले 26 फरवरी को ऑपरेशन की तारिख मिली तो डॉक्टरों ने पूरे दिन उसे भूखा रखा। फिर अगले दिन की तारिख दी। यही सिलसिला अगले कई दिनों तक चलता रहा। लंबे समय तक भूखे रहने की वजह से उसकी इम्यून सिस्टम लगातार कमजोर होती रही। इस दौरान हल्का जुकाम हुआ, जिसकी वजह से सर्जरी टाल दी गई और मरीज को जबरदस्ती डिस्चार्ज किया जाने लगा। एमएस ऑफिस में जाकर किसी तरह उन्होंने मरीज के डिस्चार्ज को रु कवाया। इसके लिए उसे हर दिन ड्यूटी पर आने वाले डॉक्टर से खरी-खोटी भी सुननी पड़ी।
वेंटीलेटर खाली तो मरीज की मौत क्यों:
इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टरों और प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में वेंटीलेटर की परेशानी नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर वेंटीलेटर खाली होने के बाद भी मरीज को बचाया क्यों नहीं जाया सका। वह एक घंटे तक बिस्तर पर पड़ी सांस लेने में परेशानी का हवाला देती रही। पिता विनोद ने इन सवालों के साथ अपनी बेटी की मौत की जांच कराने की मांग भी की है।