एम्स, सफदरजंग, आरएमल को मिला ज्यादा धन, लेकिन पेशेंट फ्रेंडली योजनाएं ठंडे बस्ते में -मरीजों को हृदय, मस्तिष्काघात, अस्थि, उदर संबंधी विकृतियों की सर्जरी कराने के लिए महीनों का इंतजार करने के लिए हैं विवश

न कार्ड बन पाता है न ही डाक्टर मिल पाते हैं, लंबे इंतजार के बाद जब दोनों मिलते हैं तो जांच सुविधाओं के लिए जुझना पड़ता है -जाएं तो जाएं कहा, हाल बेहाल है मरीजों का

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, देश की राजधानी दिल्ली में स्तित केंद्र सरकार के चार अस्पतालों में बेशक केंद्रीय अंतरिम बजट सत्र में दिल खोल कर योजना और गैर याजना मद में वित्त मंत्रालय ने बजट पारित किया है, लेकिन आम रोगियों को अब भी अदद इलाज इमेजिंग मसलन एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, रक्त, मूत्र विकृतियों संबंधी तमाम स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पाना अति जटिल है। आरएमएल में जहां कार्डियक सर्जरी के लिए 6 माह की प्रतीक्षा सूची है वहीं यह इंतजार हृदय रोगियों के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 11 माह से दो साल के मध्य तक है। तो वहीं सफदरजंग में कार्डिलॉजीय विकृतियों का इलाज कराने के लिए 5 से 7 माह जबकि लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में 3 माह का इंतजार है।
इलाज कम इंतजार ज्यादा:
केंद्र सरकार के इन चारों बिस्तरों और सुविधाओं के मामले में प्रमुख बड़े अस्पतालों में स्नायु तंत्रिका विकृतियों के तहत मसलन मस्तिष्काघात, अस्थि विकृतियों और आंतों संबंधी बीमारियों में सर्जरी कराने के लिए भी लंबा इंतजार है। इन अस्पतालों के डाक्टरों की माने तो बजट तो बढ़ाया गया है योजनाएं भी बनाई गई लेकिन उस गति से अस्पताल प्रशासन पेशेंट फ्रेंडली योजनाओं को अम्लीजामा नहीं पहना सका है। नतीजतन मरीजों को लंबी लाईने अदद इलाज के लिए लंबा इंतजार दर्द भरे पल में लंबे समय तक गुजरने के लिए विवश होना पड़ रहा है। एम्स में मोहित को हृदय वाल्व बदलने के लिए वर्ष 2021 दिसम्बर की डेट दी गई। वहीं सफदरजंग और लेडी हार्डिग में ऐसे रोगियों के लिए 6 से 7 माह के बाद की डेट दी जा रही है। उनका कहना है कि आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि निजी अस्पतालों मोटी रकम खर्च कर सर्जरी करा सके। सरकारी अस्पतालों में सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अदद बिस्तर खाली होने के लिए भटकने को विवश होना पड़ रहा है। फिलहाल यह प्रश्न सैकड़ों रोगियों के जुबां पर है, लेकिन अस्पताल प्रशासन के पास संतोष जनक जबान वहीं है। एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मरीजों का दबाव क्षमता से कई गुना ज्यादा है। तो वहीं सफदरजंग के एमएस डा. सुनील गुप्ता ने कहा गंभीर मरीजों को ही वरीयता दी जाती है।
योजनाओं को दिया जा रहा है युद्वस्तर अन्तिम रूप:
हालांकि इस मामले में स्वास्थ्य सेवाओं की सचिव प्रीति सुदान का कहना है कि कुछ योजनाओं को अन्तिम रूप दिया जा रहा है तो कुछ पर तकनीकी संबंधित विभागों से अनुमति न मिलने की वजह से विलंब हुआ। जिसे दूर करने का युद्धस्तर पर प्रयास किया जा रहा है।
दिल्ली आधारित स्वास्थ्य बजट एक नजर में:
एम्स:
– इस बार मिले 3599.65 करोड़
पिछली बार था 3,298 करोड़
– इसमें से 97 करोड़ एम्स का हेफा लोन की ब्याज में चला जायेगा।

सफदरजंग:
इस बार मिले 1211.50 करोड़
पिछले बार थे 1181.42 करोड़

आरएमएल:
इस बार 750 करोड़
पिछले बार 682.45 करोड़

लेडी हार्डिंग :
इस बार 475.10 करोड़
पिछले बार 449.07 करोड़

कलावती शरन अस्पताल:
इस बार 124.90 करोड़ मिले
पिछले बार थे 119.25 करोड़ ।

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