कोवैक्सीन परीक्षण के 11वें दिन एम्स के सामने आई मुश्किल! -वॉलिटियर्स में एंटीबॉडीज विकसित होना है वजह

एम्स वैज्ञानिक दल ने किया दावा यह परिवर्तन परीक्षण का एक हिस्सा है -हम सही दिशा में असरदार को वैक्सीन बनाने की ओर हैं अग्रसित

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,वैश्विक महामारी कोरोना के उन्मूलन के लिए कोवैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चल रहा है। पहले चरण में संस्थान को 100 वॉलंटियर्स पर ट्रायल करना है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली एम्स के ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए करीब 3500 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा दूसरे राज्यों के हैं। चूंकि स्वदेशी पहली कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का फेज 1 ट्रायल 15 जुलाई 2020 से शुरू हुआ। एम्स पटना वह पहला इंस्टीट्यूट था जहां इस वैक्सीन का फेज 1 ट्रायल सबसे पहले शुरू हुआ। कोवैक्सीन एक इनऐक्टिवेटेड वैक्सीन है। यह उन कोरोना वायरस के पार्टकिल्स से बनी है जिन्हें मार दिया गया था ताकि वे इन्फेक्ट न कर पाएं। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनती हैं। दिल्ली में चयनित फेज 1 परीक्षण में पहले से एंटीबॉडीज विकसित पाई गई है। इस वजह से कुल वॉलिटियर्स की जगह अब नए वॉलिटिर्स का चयन किया गया है। वॉलिटियर्स के एंटीबॉडीज में बदलाव से वैज्ञानिकों की चिंता को और बल मिलने लगा है। जिसके दुरगामी असर संक्रमण को रोकने वाली मारक क्षमता कमजोर हो सकती है। हालांकि एम्स ने दावा किया कि यह परिवर्तन परीक्षण का एक हिस्सा है, हम पॉजिटिव है। एम्स के प्रिसिंपल इंवेस्टीगेटर डा. संजय राय ने दावा कि हम सही दिशा में चल रहे हैं।
वॉलंटियर्स को डायरी में लिखनी होगी हर परेशानी:
डॉक्टर ने बताया कि वॉलंटियर्स को एक डायरी दी गई है, जिसे उन्हें मेंटेन करना है। अगर उन्हें कोई दिक्कत होती है तो उसके बारे में लिखना है। उन्होंने कहा कि वॉलंटियर को फॉलोअप के लिए सात दिन बाद फिर बुलाया जाएगा, लेकिन इस बीच में अगर उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है, तो कभी भी आ सकते हैं। यही नहीं, वैक्सीन टीम के लोग फोन के जरिए उनके संपर्क में रहेंगे और रोज हालचाल लिया जाएगा। वैक्सीनेशन के बाद इसकी सेफ्टी की रिपोर्ट एथिक्स कमिटी को भेजी जाएगी। कमिटी के रिव्यू के बाद इस ट्रायल को आगे बढ़ाया जाएगा।
जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल भी जारी:
कोवैक्सीन के अलावा जायडस कैडिला की जॉयकॉव-डी को भी फेज 1 और फेज 2 ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) से मंजूरी मिल चुकी है। ट्रायल के पहले फेज में जायडस कैडिला एक हजार पार्टििसपेंट्स को डोज देगी। डीएनए पर आधारित जॉयकॉव-डी अहमदाबाद के वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर में डेवलप की गई है। भारत की कम से कम सात कंपनियां भारत बायोटिक, जावइडस कैडिला, सीरम इंस्टीट्यूट, माइनवेक्स पैनासिया बायोटेक, इंडियन इम्यूनॉलोजिकल और बायोलॉजिकल-ई कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं।
एम्स में कोवैक्सीन ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर डा. संजय राय के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक ने मिलकर बनाई है कोरोना वैक्सीन के पहले चरण के कुछ दिनों की नैदानिक जांच सकारात्मक मिल रही है। कोवैक्सीन का देश में 12 जगहों पर चल रहा फेज 1 ट्रायल किया जा रहा है। रोहतक के पीजीआई में इंसानों पर ट्रायल का पहला पार्ट पूरा हो चुका है। अभी तक के नतीजे शानदार, उम्मीद है कि को वैक्सीन का भविष्य उज्जवल है। यही नहीं जायडस कैडिला भी अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है। प्रतिस्पर्धा में हर वैज्ञानिक के परिश्रम के सकारात्मक परिणाम का मैं उम्मीद करता हूं।

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