ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल से संबंद्ध स्पोर्ट्स इंजूरी सेंटर के निदेशक रह चुके डा. दीपक चौधरी के खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सख्त कार्रवाई कर सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब चार माह पहले यानी सितम्बर 2018 में डा. चौधरी का डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बतौर अस्थि रोग विभाग का प्रभारी के रूप में तबादला कर दिया गया।
टकराव की वजह:
उनकी जगह इसी यूनिट के मुखिया डा. राजेंद्र आर्या का बतौर निदेशक तैनात कर दिया। कुछ समय बाद ही डा. चौधरी ने वीआरएस ले लिया और वे राजेंद्र नगर स्थित बीएलके अस्पताल में ज्वाइन कर लिया। वर्तमान में वे इसी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि डा. चौधरी ने दावा किया कि उन्होंने वीआरएस अपने व्यक्ति समास्याओं के मद्देनजर लिया था। जो कानून एवं उनके अधिकार के अन्तर्गत आता है। इस बारे में उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय को भी लिखित में जानकारी भी दी है। जबकि मंत्रालय के उच्च अधिकारियों की मानें तो वीआरएस लेते वक्त मंत्रालय से अनुमति लेना आवश्यक है। सूत्रों के अनुसार डा. आर्या कृत्रिम घुटना बनाने वाली एक निजी कंपनी के खर्च पर सात समुंद्र पार सैर करते पाए गए थे। उन्हें दंडित करने की बजाय उनका प्रमोशन कर दिया गया। यहीं से डा. चौधरी को ठेस पहुंची और टकराव शुरू हो गया।
क्या कहता है नियम:
सफदरजंगए आरएमएल, लेडी हार्डिंग हास्पिटल और कलावती शरण बाल चिकित्साल तीनों ही अस्पताल केंद्र सरकार के तहत परिचालित किए जाते हैं। यहां पर केंद्रीय तबादला, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नियम लागू होता है। अस्पताल में पदस्थ सभी डॉक्टरों के लिए एक जैसे नियमावली कानून लागू होता है। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुदान ने कहा कि नियम के अनुसार केंद्र सरकार के अस्पताल में यदि कोई डाक्टर सेवानिवृत्ति लेता है तो उसे स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति लेने के बाद ही ऐसा कर सकता है, बेशक वह मेडिकल पर लंबे अवकाश पर जाए। किसी भी सूरत में वह अनुमति के बिना किसी निजी अस्पताल में प्रैक्टिश नहीं कर सकता है। इस प्रश्न पर डा. दीपक चौधरी ने कहा कि हमने अनुमति ली है। इस मुद्दे को बेवजह तूल दिया जा रहा है।
खेल में लगने वाली चोटों को छूमंतर करने के मास्टर है डा. चौधरी:
यहां यह बताना जरूरी है कि देश में इकलौते स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर की स्थापना करने के पीछे डा. दीपक चौधरी का ही हाथ है। उनकी कड़ी मेहनत के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कम समय में इस सेंटर की शुरुआत 2010 में की गई थी। तब से देशभर के चोटिल खिलाड़ियों का यहां बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही थी। राजनीति के शिकार हुए डा. चौधरी को इस केंद्र से बेवजह तबादला ऐसे अस्पताल में कर दिया गया जहां पर उनकी विशेषज्ञता के प्रदर्शन करने के चिकित्सीय उपकरण ही नहीं है। वे काफी दु:खी मन से अपनी सेवाओं को छोड़ने के लिए विवश हो गए।