भारत चौहान नई दिल्ली, अगर किसी युवा के सिर की एक हड्डी न हो और उसके बगैर सिर में गड्ढ़ा बन जाए तो सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है कि उसका जीवन कितना कष्टमय हो जाएगा। ऐसे में मध्य राजधानी के निजी अस्पताल ने प्लास्टिक सर्जरी से न सिर्फ उसके सिर को ढका, बल्कि उसके सिर को पहले जैसा आकार भी दे दिया।
अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अनुभव गुप्ता बताते हैं कि कुछ महीने पहले 22 वर्षीय कॉलेज छात्र, रमेश कॉलेज से घर जाते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था। उसे सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके लिए तुरंत उसका ऑपरेशन करना पड़ा। उसकी रिपोर्ट्स से पता चला कि सिर पर लगी गंभीर चोटों के कारण उसके मस्तिष्क के दाईं ओर रक्त का थक्का जम गया था। इसके साथ्ज्ञ ही खोपड़ी की हड्डी का एक भाग चोटील हो गया था, जिससे मस्तिष्क पर दबाव बन रहा था। इसलिए न्युरोसर्जन रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए उस चोटील हड्डी को निकालकर थोड़े समय के लिए एब्डोमिनल वाल में रख दिया। हालांकि तीन महीने बाद जब हड्डी को वापस खोपड़ी में लगाना था, तब पता चला कि हड्डी संक्रमित हो गई है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि रमेश की खोपड़ी का इच्छित आकार पाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इनके सिर में न केवल हड्डी की असमान्यता थी, बल्कि स्किन भी काफी कम थी । इसलिए मरीज में बलून टिशु एक्सपांडर तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में एक सिलिकॉन बैलून एक्सपांडर को एक पॉकेट में डाला जाता है, जिसका निर्माण त्वचा के नीचे किया जाता है, इसे नियमित अंतराल पर सलाइन से भर दिया जाता है जब तक कि मानचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। जैसे ही इस एक्सपांडर का आकार बढ़ता है, तब त्वचा अपने आप ही खिंचती है। ठीक वैसे ही, जैसे गर्भवती महिला की त्वचा खिंचती है, जब बच्चा गर्भ में विकसित होता है। जब त्वचा इतनी खिंच जाती है कि वो प्रभावित क्षेत्र को ढक ले, जिसमें सामान्यता 2-3 महीने का समय लगता है, के बाद एक्सपांडर को निकालने और नये उतकों कि पुनः रचना के लिए दूसरी सर्जरी की जाती है। डॉ. गुप्ता बताते हैं कि इन दोनों सर्जरी के बाद रमेश अब पूरी तरह ठीक है और उसके सिर का आकार भी पहले जैसा हो गया है।