चारु लता तिवारी, (टी. जी. टी. हिंदी)
कोरोना विषाणु के संक्रमण काल में लॉकडाउन (तालाबंदी) की घोषणा अपने साथ सुरक्षा और भय दोनों को लाई। “घर पर रहें। सुरक्षित रहें।” चारों ओर गूँजने लगा। पहले-पहल सब घबरा गए। अनेक कामगार एवं दिहाड़ी मजदूर आनन-फानन में अपने गाँवों को पलायन करने लगे। जो यहाँ थे, सोचने लगे कि कमाई कहाँ से होगी ? घर का ख़र्च कैसे चले? बच्चों की फ़ीस कहाँ से भरें? जितने लोग, उतने सवाल।
धीरे-धीरे राहें निकल आईं। सरकार ने सहयोग किया; बैंकों ने सहयोग किया; प्रबंधकों ने सहयोग किया। सबसे बड़ा सहयोग इंटरनेट प्रदाता कंपनियों ने किया। घर बैठे-बैठे ही दफ़्तर के काम किए जाने लगे; घर के सामान मंँगाए जाने लगे और हमारे प्यारे-प्यारे बच्चे पढ़ने लगे।
आज सब काम हो रहे हैं। बच्चे पढ़ रहे हैं; अध्यापिकाएँ पढ़ा रहीं हैं। नियमित कक्षाएँ चल रहीं हैं। ऑनलाइन समय सारणी है। ऑनलाइन गतिविधियाँ हो रहीं हैं।कक्षाकार्य किए जा रहे हैं; गृहकार्य दिए जा रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चों को अपनी आँखों के सामने पढ़ते देख संतुष्ट हैं। दादा-दादी की आँखों में नई चमक आ गई है। पोता-पोती उनके आसपास खेल रहे हैं; उनसे कहानियाँ सुन रहे हैं; टीवी पर रामायण-महाभारत देख रहे हैं। भारत की परंपरागत परिवार संस्कृति एक बार फिर फल-फूल उठी है।
मैं एक हिंदी अध्यापिका हूँ। प्रतिदिन कक्षा में नियमित पाठ के साथ-साथ विद्यार्थी कभी रामायण, कभी महाभारत, कभी शिव, कभी विष्णु, तो कभी बँटवारे पर आधारित ‘बुनियाद’ के प्रसंगों की चर्चा करते हैं, तो कक्षा इतनी रोचक हो उठती है, कि एक घंटा पूरा हो जाता है, पर चर्चा समाप्त नहीं होती।
आज इस तालाबंदी ने एक ऐसे सेतु का निर्माण किया है, जो सबको एक दूसरे के निकट ला रहा है; परस्पर प्रेम, एकता और परिवार की कड़ियों को जोड़ रहा है। इस सेतु के समानांतर एक ऑनलाइन कक्षा सेतु चल रहा है, जो ज्ञान और शिक्षा की कड़ियों को पिरो रहा है। शिक्षा निर्बाध चल रही है। हम आशा करते हैं , कि यह ऑनलाइन कक्षा सेतु यों ही बना रहे तथा बच्चों की शिक्षा बिना रुके चलती रहे।