गंभीर बीमारी से जूझ रहे 18 माह के बच्चे की कहानी आपको रुला देगी दिल्ली के अस्पतालों में नहीं मिल रहा बिस्तर

हेड हाइड्राोसिफलिस डिजीज से पीड़ित बच्चे के सिर में बन रहा है द्रव्य

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ज्ञान प्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली , स्वास्थ्य विभाग बेशक मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण उपचार व नैदानिक सेवाएं देने का दावा करे लेकिन स्थिति इसके उलट ही है। मूलत: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के निवासी प्रदीप बीते डेढ माह से हेड हाइड्रोसिफलिस डिजीज से पीड़ित अपने 18 महीने के बच्चे को अदद इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल इस उम्मीद में भटकने के लिए विवश है कि वहां उसे भर्ती कर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी। जिससे उसका जीवन बचेगा।
हर अस्पताल की है अपनी दिक्कतें:
लेकिन एम्स में बिस्तर खाली नहीं है तो सफदरजंग में इलाज की सुविधा नहीं, डीडीयू अस्पताल की इमरजेंसी से उसे 23 अगस्त को भर्ती किया गया लेकनि 28 असगस्त को उसे जीबीपंत अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह देते हुए रेफर कर दिया। किसी तरह से ओपीडी का पर्चा बना, डाक्टर ने देखा और कहा तुरंत भर्ती करना पड़ेगा, लेकिन जब वे भर्ती काउंटर पर गए तो उन्हें बिस्तर खाली नहीं है क हते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया। वह यहां तब से इसी उम्मीद वेटिंग लांज में वक्त गुजारने के लिए विवश है कि शायद आज बिस्तर मिल जाए। पर मायुसी की सिवाय अब तक उसे सफलता नहीं मिल सकी है।
गंभीर तथ्य:
हाइड्रोसिफलिस डिजीज से तात्पर्य यह है इसमें दिमाग के एक हिस्से में हानिकारक द्रव्य बनाने लगता है। जिसे तुरंत सर्जरी कर सामान्य किया जा सकता है, यदि उसे सामान्य नहीं किया गया तो वह द्रव्य शरीर के अन्य हिस्सों में स्रवित होने लगता है। जिससे मरीज को मल्टीपल अटैक होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
ऐसे लगा बीमारी का पता:
एक दिन अचानक प्रदीप के बेटे को बुखार आया. दवाई खाने के बाद बुखार ठीक तो हुआ लेकिन कुछ दिन के बाद एक पैर ने काम करना बंद कर दिया। आगरा मेडिकल कॉलेज के डाक्टर की सलाह पर अल्ट्रासाउंड कराया जहां पर इस बीमारी का पता चला।
सिफारिश भी न आई काम:
गरीब मरीजों का मदद करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने निजी अस्पताल में सुरक्षित मुफ्त बिस्तर देने के लिए कम से कम 6 से अधिक अस्पताल के प्रमुखों से मदद मांग चुके हैं। लेकिन हर जगह उन्हें बताया जा रहा है कि बिस्तर खाली नहीं है। पैड वार्ड में भर्ती करा कर इलाज करा सकते हैं। श्री अग्रवाल ने थकहार का अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बच्चे को भर्ती कराने और जीवन बचाने का अनुरोध संबंधी पत्र लिखा है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से सोमवार तक बच्चे के पक्ष में दिशा निर्देश जारी किए जा सकता है।

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