रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी के निजीकरण का आरोप गलत :सरकार

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भारत चौहान नयी दिल्ली , सरकार ने कांग्रेस संसदीय दल की नेता श्रीमती सोनिया गांधी के आरोपों का खंडन करते हुए आज स्पष्ट किया कि रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी (एमसीएफ) के निजीकरण नहीं बल्कि निगमीकरण किया जा रहा है और इससे कर्मचारियों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा।

रेलवे के उच्च पदस्थ सूाों ने कहा कि निगमीकरण का मतलब निजीकरण नहीं होता है। सरकार ने रेल मांलय के अधीन एक सार्वजनिक उपक्रम ‘इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक कंपनी’ बनाने का प्रस्ताव किया है जिसके अधीन एमसीएफ सहित रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयां होंगी। उन्होंने कहा कि ये सभी उत्पादन इकाइयां सरकार के नियांण में रहेंगी लेकिन उनका प्रबंधन बेहतर होगा और वे भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल), राष्ट्रीय तापविद्युत निगम (एनटीपीसी), भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) की तर्ज पर पूर्ण सार्वजनिक उपक्रम हो जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार इससे उनके तकनीकी साझेदारी और आधुनिकीकरण रास्ते खुलेंगे। अधिक स्वायत्तता एवं दक्षता से काम करने के कारण उनका उत्पादन बेहतर होगा और वे अपने कर्मचारियों को अधिक सुविधाएं सुनिश्चित कर सकेंगे। सूाों के अनुसार रेलवे कर्मचारी यूनियनों से परामर्श करेगी और सुनिश्चित करेंगे कि कर्मचारियों को नुकसान ना हो।

सूत्रों ने कहा कि श्रीमती गांधी ने लोकसभा में एमसीएफ के निजीकरण करने का आरोप लगाया है जो सही नहीं है।
एमसीएफ का शिलान्यास वर्ष 2007 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में किया गया था और यह 2010 में बन कर तैयार हुई थी। वर्ष 2011 से 2014 के बीच केवल 375 कोचों की मरम्मत का काम हुआ। 2014 में राष्ट्रीय जनताांिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने पर इसका कायापलट हुआ और आज यह भारत की सबसे आधुनिकतम रेल फैक्टरी बन चुकी है।

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