भारत चौहान प्रयागराज, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ भारतीय श्रद्धालुओं के लिये ही नहीं बल्कि विदेशी मेहमानों के लिये भी कौतूहल का केन्द्र बना हुआ है। कुम्भ मेला के आगाज से पहले ही अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, हालैंड, चेकोस्लाविया और हंग्री समेत कई देशों के पर्यटकों को यहां तांता लगा हुआ है। इनमें से कुछ विदेशी मेहमान अपने अखाड़ा के आध्यात्मिक गुरूओं के साथ पधारे हैं तो कुछ कुम्भ के महात्म, आध्यात्म और भारतीय संस्कृति को नजदीक से समझने यहां पहुंच रहे हैं।
निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में शिरकत करने पहुंची आस्ट्रिया की उमा पुरी का कहना है कि वह इससे पहले भी कई बार पेशवाई के समय यहां आ चुकी है। यहां जैसा धार्मिक माहौल वि में और कहीं देखने को मिलता। भारत को आध्यात्मिक गुरू कहें तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
जर्मनी के पास्कल का कहना है कि उन्होंने कुम्भ मेले की महत्ता को पुस्तकों में पढ़ा है लेकिन उसका कभी साक्षात्कार नहीं हुआ है। पास्कल ने बताया कि उसने यहां अखाडों की पेशवाई देखी जो अपने आप में सुखद और अछ्वुद थी।