ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बृहस्पतिवार को कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को मूल्यों की शिक्षा देने के बजाय चकाचौंध की दुनिया में धकेल रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध के साथ बातचीत के दौरान बच्चों से संबंधित अश्लील वीडियो को लेकर पूछे गए एक सवाल पर सत्यार्थी ने कहा कि यह हमारे समाज में तेजी से बढ रही नैतिक संक्रामक बीमारियों में से एक है। यह कार्यक्रम सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलने के पांच साल पूरा होने के मौके पर आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले दो वर्षों से मैं 23 नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ करीबी साझेदारी में मिलकर संयुक्त राष्ट्र में एक नया संधि पत्र बनाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं जो कानूनी से बाध्य होगा तथा रूप से बच्चों के डिजिटल इस्तेमाल पर रोक लगा सके।’’ बाल अधिकार कार्यकर्ता और ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के संस्थापक ने कहा कि उन्हें इस संबंध में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का समर्थन हासिल हुआ है। मनोरंजन उद्योग में बच्चों के उत्पीड़न के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि कानून को लागू नहीं किया रहा है। उन्होंने इसके लिए बच्चों के माता-पिता को भी दोषी ठहराया।
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