ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का कितना टोटा है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली सरकार के छोटे-बड़े 37 अस्पतालों में से केवल 9 अस्पताल ही ऐसे हैं जिन्हें नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पीटल (एनएबीएच) से मान्यता मिल सकी है। एनएबीएच संस्था केंद्र सरकार की स्वावत्त संस्था है जो अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का आकलन करता है और उसे वहां मौजूद सुविधाओं के आधार पर ग्रेड निर्धारित प्रमाणपत्र जारी करती है।
सिर्फ चार को है मान्यता:
इन 9 अस्पतालों में से भी 5 अस्पताल फिलहाल प्री-एंटी लेवल पर हैं और केवल 4 अस्पताल को ही पूरी तरह से एनएबीएच मान्यता दी गई है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को किस तरह की सुविधाएं अस्पतालों द्वारा दी जा रही हैं। यही कारण हैं कि अस्पतालों से रोजाना मरीजों को इलाज न मिलने, दवाएं असर न करने, सर्जरी में त्रुटियां, ओटी में संक्रमण समेत कई केस सामने आते हैं। हाल ही में लोकनायक अस्पताल में दो बच्चों को गंभीर स्थिति होने के बाद भी वेंटिलेटर मुहैया न कराने के दो मामले भी सामने आए थे। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली के सभी अस्पतालों ने एनएबीएच एक्रिडिटेशन के लिए आवेदन नहीं किया इसलिए जिन्होंने आवेदन किया, उनका निरीक्षण करके उन्हें एनएबीएच एक्रिडिएशन र्सटििफकेट मुहैया करवा दिया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों से आवेदन नहीं करवाए जा रहे क्योंकि कहीं न कहीं वह भी जानते हैं कि अस्पतालों में इंफ्रास्ट्रक्चर समेत पूरे स्टाफ का टोटा है। ऐसे में एनएबीएच एक्रीडिएशन मिल पाना बेहद मुश्किल है। सरकारी अस्पतालों से ज्यादा डिस्पेंसरियों को एनएबीएच की मान्यता प्राप्त है और र्सटििफकेट मिले हुए हैं। दिल्ली 11 डिस्पेंसरियां ऐसी हैं जिन्हें एनएबीएच की मान्यता प्राप्त है। क्यूसीआई की तरफ से पब्लिक प्रोटेक्शन मूवमेंट ऑर्गनाइजेशन के निदेशक जीशान हैदर द्वारा लगाई गई आरटीआई के जवाब में दी गई है। काउंसिल के मुताबिक 9 जनवरी 2019 तक केवल 9 अस्पताल ही एनएबीएच के मानकों पर खरे उतर पाए हैं।
मान्यता जरूरी क्यों:
एनएबीएच क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया है। यह बोर्ड अस्पतालों के लिए स्टैंर्डड तय कर उनका मूल्यांकन करता और इसके बाद र्सटििफकेट जारी करता है। इस र्सटििफकेट को पाने के लिए सबसे पहले एंट्री लेवल, इसके बाद प्रोग्रेसिव और बाद में फाइनल र्सटििफकेट दिया जाता है। अस्पतालों में साफ-सफाई, संक्रमण की रोकथाम, मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, डिस्प्ले बोर्ड, पेशेंट केयर, मानव संसाधन, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कीपिंग, वेटिंग ऐरिया जैसे सभी सुविधाएं और सभी प्रोटोकॉल का पालन होना जरूरी है। इस र्सटििफकेट के लिए साफ-सफाई और पेशेंट केयर सबसे महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि दिल्ली के केवल 4 अस्पतालों को फाइनल र्सटििफकेट मिला है और अन्य 5 अस्पताल प्री-एंटी लेवल पर हैं। इन्हें फाइनल र्सटििफकेट मिलता है या नहीं, यह भी एक बड़ा सवाल है।
प्रमाणत्र सिर्फ इनके पास:
-चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, गीता कॉलोनी
-आईएलबीएस, वसंत कुंज
-इहबास, दिलशाद गार्डन
-मौलाना आजाद दंत विज्ञान संस्थान (मेड्स)
प्री-एंटी लेवल पर:
-पं. मदनमोहन मालवीय अस्पताल, आचार्य श्री भीक्षु अस्पताल, श्री दादा देव मातृ एंव शिशु चिकित्सालय, बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, रघुबीर नगर।
दावा:
स्वास्थ्य सेवाओं की निदेशक डा. नूतन मुंडेजा ने कहा कि गुणवत्ता पूर्ण सुविधाएं मरीजों को दी जा रही है। प्रमाणपत्र लेने के लिए जल्द ही आवेदन करेंगे।