स्वैच्छिक रक्तदान करने में युवाओं की दिलचस्पी घटी -अपनों का जीवन बचाने के लिए ही रक्तदान करने के लिए होते हैं राजी -रक्तदान स्वास्थ्य के लिए नहीं होता है हानिकारक

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , रक्तदान को महादान कहा जाता है। इससे बीमारों और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तो सहायता मिलती ही है, मुश्किल के समय में हमें और हमारे अपनों को भी उसका लाभ मिलता है। लेकिन दु:खद तथ्य ये है अब युवाओं में स्वैच्छिक रक्तदान करने में दिलचस्पी में गिरावट दर्ज की गई है।
दिल्ली स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन इंस्टीट्यूट के अनुसार वर्ष 2015 में साल भर में कुल 12 लाख 65 हजार यूनिट स्वैच्छिक रक्तदान किया। इसी तरह से वर्ष 2017 में 11 लाख 23 हजार लोगों ने रक्तदान किया तो यह संख्या वर्ष 2018 में 10लाख 12 हजार 234 तक सिमट गई। इस साल जनवरी 2019 से लेकर 15 जून तक कुल 4 लाख 89 हजार 231 लोगों ने रक्तदान किया। चौकाने वाले तथ्य ये भी है कि रक्तदान करने वालों में लोग अपनों क लिए मुश्किल से रक्तदान इस शर्त पर कर रहे हैं कि उनके द्वारा दिए गए रक्तदान की एवज में उनके बीमारी संबंधी को रक्ताधान किया जाएगा। दिल्ली सरकार के स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन के पूर्व निदेशक डा. भरत सिंह के अनुसार बीते सालों के आंकडे यह पुष्टि करते हैं कि युवावर्ग विभिन्न स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों में युवाओं की भागीदारी में 35 से 40 फीसद तक गिरावट दर्ज की गई है। दिल्ली में फिलहाल 50 ब्लड बैंक है।
जागरुकता की दरकार:
वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खैतरपाल के अनुसार यदि किसी देश की एक प्रतिशत जनसंख्या भी रक्तदान करती है तो उस देश के जरूरतमंदो को रक्त की पर्याप्त आपूर्ति हो जाएगी। सबसे जरूरी यह समझना है कि रक्त बाजार में नहीं मिलता इसकी आपूर्ति दान के रक्त से ही संभव है। यही नहीं रक्तदान करने वाला भी नुकसान में नहीं रहता इससे उसकी भी सेहत सुधरती है और शारीरिक तंत्र तरोताजा हो जाता है। रक्त दान करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अति उत्तम और सुरक्षित विधि है।
विशेषज्ञों की नजर में:
सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ब्लड और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के एचओडी डा.रीना बंसल का कहना है कि स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 से 60 वर्ष हो, वजन 45 किलोग्राम से कम न हो, वह किसी घातक बीमारी से पीडित न हो और उसके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 मि.ग्रा. हो, तो ऐसा व्यक्ति रक्तदान कर सकता है जो पूर्वतय सुरक्षित एवं लाभदायक होता है। इस पुण्य कार्य में केवल 5 से 7 मिनट ही लगते हैं, परंतु पूरी प्रक्रिया में 30 से 40 मिनट लग जाते हैं।
ऐसे होती है शरीर में रक्तापूर्ति:
पहले प्राथमिक स्वास्थ्य की जांच होती है, फिर ब्लड ग्रुप देखकर प्रशिक्षित ब्लड बैंक टीम के द्वारा रक्त निकाल कर सुरक्षित कर लिया जाता है तथा आवश्यक पात्र को चढ़ा दिया जाता है या विनिमय कर लिया जाता है। जितना रक्त दानकर्ता के शरीर से निकाला जाता है उसकी पूर्ति 24 से 48 घंटे के अंदर स्वत: हो जाती है। 350 मि.ली. एक यूनिट ब्लड निकालने में केवल 650 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है जो कि एक समय पर पौष्टिक नाश्ते के ऊर्जा के बराबर होते हैं। जैसे-जैसे रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे ही रक्त दान की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है कैंसर के निवारण के लिए कीमोथेरेपी जैसे कुछ उपचारों में, रोगियों को दैनिक रक्त की आवश्यकता होती है। कार दुर्घटना में घायल रोगियों को भी 100 यूनिट रक्त की आवश्यकता हो सकती है, इसके अतिरिक्त, रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता है, अत: रक्त की आपूर्ति का एकमात्र स्रेत रक्तदान ही है।
यह भी:
ब्लड ग्रुप 8 तरह के होते हैं और सभी लोगों का अलग-अलग ब्लड ग्रुप होता है। ए पॉजिटिव, ए नेगेटिव, बी पॉजिटिव, बी नेगेटिव, एबी पॉजिटिव, एबी नेगेटिव, ओ पॉजिटिव, ओ नेगेटिव।

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