मोबाइल फोन के अंधाधुध इस्तेमाल से युवा आर्थराइटिस की गिरफ्त में – डॉक्टरों ने जताई चिंता, तनाव के चलते हो सकती है बीमारी – जोड़ों के दर्द तक सीमित नहीं है आर्थराइटिस, जा सकती है जान – हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक तक का कारण बन रही यह आदत

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली,विश्व आर्थराइटिस दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी के डॉक्टरों ने जोड़ों की इस बीमारी को गंभीर चिंता जाहरि की। इस दौरान डॉक्टरों ने बताया कि मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल भी लोगों को आर्थराइटिस दे सकता है। इसके पीछे मुख्य वजह है तनाव। तनाव के चलते आर्थराइटिस की आशंका कई गुना ज्यादा होती है। युवाओं को कमर से लेकर गर्दन और कंधों में तेज दर्द को नजरदांज करना खतरनाक हो सकता है।
गुरु वार को कनॉट प्लेस स्थित एम्ब्रोसिया ब्लिस संवाद्दाताओं को मेट्रो हास्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट अस्थि एवं रुयूमोटाइटिस रोग विशेषज्ञ डा. किरन सेठ ने बताया कि ये बीमारी आम तौर पर यह रोग घुटनों, हाथों, पैरों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है। वर्ष 2017 में हुए एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि देश में आर्थराइटिस से जुड़े मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ रही है। पिछले वर्ष 180 मिलियन की पहचान भारत में हुई है। जबकि अनुमान है कि साल 2025 तक देश में करीब 300 मिलियन तक मरीजों की संख्या पहुंच सकती है। डॉ. किरन ने बताया कि हाथों की आर्थराइटिस के आम लक्षण हैं उंगलियों का सख्त होना और उनमें खुजलाहट महसूस होना। कीबोर्ड अथवा फोन पर अधिक देर तक टाइपिंग करने से हाथों में आर्थराइटिस की शिकायत हो सकती है। अस्पताल के चिसकित्सा निदेशक डा. कनिका कंवर ने रोकथाम और जागरुकता पर जोर दिया। सफदरजंग अस्पताल के स्पोट्र्स इंजरी सेंटर के डॉ. हिमांशु कटारिया का कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक गतिविधियों में पैदल टहलने के लिए बाहर जाना, योग के लिये पार्क और क्लब में दोस्तों से मिलना शामिल है। लेकिन घुटने का स्थायी दर्द इसमें बाधा बन जाता है और वह घर में बंद हो जाते हैं। लंबी अवधि में इससे उनकी शारीरिक और मानिसक स्थिति प्रभावित होती है। वहीं इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के डॉ. मनिंदर शाह के मुताबिक अगर आर्थराइटिस का मौजूदा ट्रेंड आगे भी जारी रहा तो अगले 10 साल में ही भारत आर्थराइटिस कैपिटल भी बन सकता है। हाथों में आर्थराइटिस की वजह उम्र से सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं, या स्थायी संक्रमण हो सकता है, या फिर गम्भीर चोट या खान-पान में पोषण की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है।

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