गलत माप के जूते-जूतियों से बढ़ रहा है क्ला टो का प्रकोप! -हर 10 में से दो यह इस समस्या की गिरफ्त में -हाई हील के कारण पक्षियों के पंजे की तरह बन सकती है पैरों की उंगलियां

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध स्पोर्ट्स इंजूरी सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में पाया है कि अधिक स्मार्ट दिखने के लिए आजकल खास तौर पर महिलाओं में हाईहील और बहुत अधिक टाइट जूतियां एवं सैंडिल पहनने का फैशन जोरों पर है लेकिन ये फैशनेबल जूते -जूतियां पैरों और रीढ़ के लिए घातक साबित होते हैं। ऐसे जूते-जूतियां पैरों की उंगलियों में एक अलग तरह की विकृति भी पैदा कर रहे हैं। ऐसी उंगलियों को ‘क्लॉ टो’ कहा जाता है। देश में हर 10 में से 2 लोगों को यह समस्या है। जिसमें पैरों की उंगलियां अंग्रेजी के अक्षर ‘वी’ के आकार की हो जाती है। इसमें उंगलियां बीच की जोड़ के पास उठ जाती है और अंतिम जोड़ के पास नीचे झुक जाती है और देखने में ये उंगलियां पक्षियों के पंजे की तरह लगती हैं। ये उंगलियां केवल देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि ये कष्ट का कारण बन सकती हैं और इस समस्या के कारण खड़ा हो पाना और चलना फिरना दूभर हो जाता है। दिल्ली में अन्य महानगरों की अपेक्षा यह समस्या ज्यादा है।
इंडियन कार्टलेिज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने कहा कि हमारे देश में हर 10 में करीब 2 लोगों को यह समस्या है। अध्ययन के अनुसार पुरूषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या चार से पांच गुनी अधिक है और इसका एक प्रमुख कारण हाई हील है और बहुत अधिक संकरे जूते-सैंडिल हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या बढ़ती है। यह समस्या 70 साल या अधिक उम्र के लोगों में अधिक पाई जाती है।
सुझाव:
हर व्यक्ति को अपने पैरों के अनुरूप सही माप के जूते एवं चप्पलों का ही प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से पैरों से संबंधित अनेक समस्याओं को रोका जा सकता है। जिन जूते-चप्पलों के आगे के हिस्से बहुत पतले होते हैं या जिनमें बहुत अधिक हील होते हैं उन्हें लंबे समय तक पहने से पैर की उंगलियों में ‘क्लॉ टो’ या ‘हैमर टो’ के अलावा घुटने एवं कमर में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती है। हाई हील वाले जूते और सैंडिलों के कारण पैर के निचले गद्देदार हिस्से (फैट पैड) तथा पैर के आगे के हिस्से, खास तौर पर पैर की उंगलियों पर बहुत अधिक दवाब पड़ता है। हील जितनी अधिक होगी दवाब उतना ही अधिक होगा तथा पैर के निचले एवं आगे के हिस्से क्षतिग्रस्त होने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
क्लॉ फुट:
वह स्थिति है, जिसमें पैरों की उंगलियां पक्षियों के नखों के समान अंदर की ओर मुड़ जाती हैं। क्लॉ फुट की समस्या जन्मजात भी हो सकती है, या आपकी उंगलियां उम्र बढ़ने के साथ अंदर की ओर मुड़ सकती हैं। कई बार पैरों की उंगलियों में संकुचन मांसपेशियों की कमजोरी, आर्थराइटिस या जन्मजात समस्याओं के कारण होता है, लेकिन इनमें से अधिकतर मामले टाइट जूतों के कारण होते हैं। पैरों की उंगलियों की गतिशीलता के आधार पर क्लॉ टोज को वगकृत किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं -लचीले और कठोर। इसमें पंजों के अगले हिस्से के निचले भाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दर्द हो सकता है और कॉर्न तथा कैलस विकसित हो सकते हैं।
जागरुकता का अभाव:
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डा. अभिषेक वैश्य के अनुसार देश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में दिल्ली जैसे महानगर में महिलाओं में यह समस्या अधिक है और लेकिन जागरूकता के अभाव और फैशन के चलते लोग ऐसे जूते-सैंडिलों को पहनते रहते हैं और जब समस्या गंभीर हो जाती है तभी चिकित्सक के पास आते हैं लेकिन तब सर्जरी के अलावा कोई आर चारा नहीं होता है। हाई हील वाली सैंडिलों एवं जूतियों के पहनने के कारण शरीर का पूरा वजन उंगलियां पर आ जाता है। इसके अलावा बहुत अधिक तंग जूते-सैंडिलें पहनने से पैरों की उंगलियां मुड जाती है। ऐसे जूते पैरों की मांसपेशियों को कमजोर बनाती हैं और ‘क्लॉ टो’ जैसी समस्याओं को जन्म देती हैं। समय के साथ यह समस्या बढ़ती जाती है और कुछ समय बाद अस्थाई विकृति का रूप ले लेती है जिसे ठीक करने के लिए सर्जरी कराने की नौबत आ जाती है।

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