ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली स्थित मैक्स पटपड़गंज हॉस्पिटल एक बार फिर मरीज का इलाज लापहरवाही से करने के आरोप के कारण जांच के घेर में है, उसके खिलाफ एक पीड़ित मरीज ने दिल्ली मेडिकल कांउसिल (डीएमसी) में शिकायत की है। डीएमसी के रजिस्ट्रार डा. गिरीश त्यागी ने कहा कि जांच के बाद ही तथ्यों का पता चलेगा। शिकायत मिली है। जल्द ही कारण बताओं नोटिस जारी कर अस्पताल प्रशासन को आरोप संबंधी पक्ष रखने के लिए निर्देश दिया जाएगा।
क्या है मामला:
31 साल की रजनी गॉल ब्लैडर में पथरी की शिकायत की वजह से 28 फरवरी को वह मैक्स अस्पताल में भर्ती हुई थी। यहां डॉक्टरों ने बताया था कि उनकी पित्त की थैली में पथरी है। इसे निकालने की बात की गई थी। एक मार्च को एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेट चोलैगियोपैरेस्टोग्राफी (ईआरसीटी) की। रजनी का आरोप है कि इसके बाद उसे पेट में दर्द होने लगा। इसकी जांच में पता चला कि पथरी निकालते समय डॉक्टरों ने पित्त के पास की नली काट दी। जिसके वजह से उन्हें इंफेक्शन हो गया। इसके लिए उन्हें तीन दिन तक आईसीयू में रखा गया। उन्हें पेट दर्द होने लगा। डाक्टर जबर छुट्टी करने लगे। उनका फिर से टेस्ट किया गया, जिसमें सामने आया कि उनके पेट में फ्लूड जमा हो गया है। लेकिन डॉक्टरों पर उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि 13 मार्च को उन्हें जबरन डिस्चार्ज कर दिया। अस्पताल ने उनसे तीन लाख 60 हजार रु पए वसूल लिए। साथ ही इलाज करने से भी मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने एम्स में अपना इलाज कराया था। वहीं अस्पताल ने इस मामले में सफाई दी थी कि जांच में सामने आया था कि कॉमन बाइल डक्ट (सीबीडी) में पथरी है। इसके लिए उसकी इआरसीपी की गई, जिसके बाद उसने पेट दर्द की शिकायत की। यह दर्द पेंक्रियाज में संक्रमण के कारण हुआ। इसके बाद तीन दिन आईसीयू में रखा और जब उनकी स्थिति बेहतर हो गई, तब उन्हें 13 मार्च को डिसचार्ज किया गया। अस्पताल का आरोप है कि इसके तीन सप्ताह के बाद मरीज को स्टेंट निकालने और गॉल ब्लाडर के इलाज के लिए बुलाया गया था, लेकिन मरीज अस्पताल नहीं आई। डा. त्यागी इस पूरे मामले की जांच एक्जीक्यूटिव कमेटी करेगी, जो आगे फैसला करेगी कि केस में क्या होना है। जरूरी पड़ने पर डॉक्टरों को बुलाया जाएगा।