मतदाताओं ने खूब दबाया नन ऑफ द एबव यानी नोटा के बटन को -न आप, न भाजपा, न कांग्रेस हमें तो सिर्फ नोटा ही है पसंद

42 हजार 706 फीसद मतदाताओं ने किया नोटा का प्रयोग

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने देर सायं तक जारी मतदान के फीसद में नन ऑफ द एवव यानी नोटा के भी आंकड़े जारी किए हैं। आप हो या भाजपा या फिर कांग्रसे जैसी पार्टियों के चुनावी सब्जबाग के इतर जमकर नोटा के बटन को दबाने में दिलचस्पी ली। प्राप्त अधिकारिक आंकडों के अनुसार नन ऑफ द एवव के अन्तर्गत संपन्न 2020 विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में 42 हजार 706 मतदाताओं ने प्रयोग किया। जो कुल हुए मतदान में से 0.47 फीसद दर्ज किया गया है।
नोटा की दरकार :
विधानसभा हो या फिर लोकसभा चुनाव। अगर, विभिन्न राजनीतिक दलों से लेकर निर्दलीय प्रत्याशी तक अपनी पसंद का नहीं है या फिर योग्यता को लेकर मन में संशय है तो क्या करें। यह सवाल हर मतदाता के जेहन में कौंधता था। इसका जवाब नोटा (नन ऑफ द एवव) के रूप में आया था। चुनाव आयोग ने जनता को यह अधिकार भी पहली बार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में थमाया था। यह पहला मौका था जब दिल्ली समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल किया गया। इसी दौरान पहली बार दिल्ली के लोगों ने भी नोटा दबाया। इसके पहले किसी विधानसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल नहीं हुआ था। हालांकि, वर्ष 2009 में स्थानीय निकाय के चुनावों में पहली बार नोटा का उपयोग हुआ और यह विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ भारत का पहला राज्य बना था।
विशेषज्ञों की नजर में:
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी राहुल सिंह कहते हैं कि वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में नोटा का विकल्प दिया। तब दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव हुआ था। इसके बाद 2014 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ। ईवीएम में नोटा का बटन गुलाबी रंग का होता है। 2013 के चुनाव में नोटा का असर भी देखने को मिला। उस वक्त दिल्ली में कुल 49, 774 मतदाताओं ने नोटा दबाया था। वर्ष 2020 विधानसभा चुनावों में 42, 706 मतदाताओं ने नोटा दबाया यानी 0.47 फीसद दर्ज किया गया।

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