यहां न दवाएं है न ही समुचित जांच के संसाधन! -जीटीबी अस्पताल का है मामला -मृतक हनी के परिजनों ने उपराज्यपाल निवास में लगाई न्याय की गुहार

0
559

ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , पूर्वी दिल्ली के शाहदरा स्थित गुरुतेग बहादुर अस्पताल में डाक्टरों की कथित लापरवाही से इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रेचर पर ही दो दिन पहले हुई 4 माह के बच्चे की मौत के मामला गहरता जा रहा है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने मामले के संज्ञान लेते हुई पहले चरण में इलाज में अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता का मामला पाया है। पूछताछ में पीडियाट्रिक इमरजेंसी के बाहर तैनात गार्ड को इस मामले में बेकुसर करार देते हुए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. सुनील कुमार गौतम समेत पीडियाट्रिक यूनिट में ड्यूटी पर तैनात तीन डाक्टरों को जिम्मेवार बताया गया है।
दरअसल, अनिल के बेटे चार माह के हनी को गंभीर हालत में यहां बीते 27 मई को लाया गया था। उसकी हालत अति गंभीर थी बावजूद इसके यहां ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों ने घोर संवेदनहीनता का परिचय दिया। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को सख्त हिदायत दी थी कि यहां पर उनकी अनुमति के बिना किसी भी मरीज को अंदर प्रवेश न दिया जाए। सर्च कमेटी में शामिल एक डाक्टर के अनुसार इमरजेंसी में उपचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले माकुल संसाधन नहीं है। इसलिए जो भी गंभीर अवस्था में यहां बच्चे अदद इलाज की उम्मी दमें लाए जाते हैं उन्हें अक्सर स्वामी दयानंद अस्पताल या फिर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भेज दिया जाता है। यह सिलसिला दरअसल, बीते कई महीने से चल रहा है। मरीजों की आने की सूचना सिर्फ दर्ज की जाती है उन्हें क्या बीमारी है, कौन सी दवाएं चाहिए, जांच क्या होनी है, आदि का ब्यौरा तो रिकार्ड में दर्ज कर लिया जाता है। इस बारे में दरअसल, कई मरीजों के रिश्तेदारों और स्वयं मरीजों ने भी पुष्टि की है। उनका आरोप है कि सिर्फ यहां भर्ती किया जाता है उन्हें सारी दवाएं बाजार से ही खरीदनी पड़ रही है। इस बारे में सर्च कमेटी दूसरे चरण की जांच करेगी। हालांकि अस्पताल के एमएस डा. गौतम तर्क देते हैं कि मरीजों का यहां दबाव ज्यादा रहता है। कई बार भींड ज्यादा होने पर मरीजों को बाहर ही प्रतीक्षा करवानी पड़ती है। हम किसी भी मरीज को बिना इलाज के नहीं भेजते है।
खरीद परोख्त में गड़बड़:
अस्पताल में खरीद परोख्त विभाग की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भरत सागर की है। इमरजेंसी में तैनात कई डाक्टरों और नर्सिग स्टाफ ने कहा कि वे हर दिन मरीजों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाएं और अन्य चिकित्सीय संसाधन की आपूर्ति कराने के लिए इंडेड स्टोर कक्ष में भेज देते हैं। लेकिन उनमें से 67 फीसद दवाएं व अन्य चिकित्सीय संसाधनों की आपूर्ति नहीं की जाती है। हम जब आवाज उठाते हैं तो यहां से दूसरी जगह ड्यूटी लगा दी जाती है। बीते दिनों मरीज और डाक्टरों के मध्य दवाएं व अन्य जांच सुविधाएं नहीं मिलने के आरोप प्रत्यारोप के मामले सुर्खियों रहे थे। डाक्टरों ने दो घंटे की हड़ताल भी कर दी थी। लेकिन उस दौरान दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल के हस्तक्षेप पर मामले को शांत करा दिया गया था। इस बारे में श्री खिरवाल ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। इसके जिम्मेदारी अधिकारियों के खिलाफ जांच की जा रही है। हम मरीजों बेहतर सुविधाएं देने के लिए संकल्पबद्ध है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पुलिस में भी पीड़ित पक्ष की तरफ से मामला दर्ज कराया गया है। दवाओं की कमी क्यों हो रही है, ऐसी शिकायतों का निवारण अति शीघ्रता से किया जाएगा। जरूरी हुआ तो अधिकारियों के कामकाज संतोषजनक नहीं पाए जाने पर उन्हें अन्यत्र भेजने पर विचार किया जाएगा।
पीड़ित पक्ष ने की शिकायत उपराज्यपाल से:
इस बीच मृतक हनी के अभिभावकों ने उपराज्यपाल के यहां लिखित में शिकायत कर न्याय की गुहार की है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here