एनएमसी बिल सिफारिशें शामिल न करने से खफा आज इलाज नहीं करेंगे डाक्टर! -निजी, सरकारी अस्पताल हुए लामबंद, मरीजों की दिक्कतें बढ़ी -सुझावों की अनदेखी, लोकसभा के बाद अब राज्य सभा में पेश कर रही है एनएमसी बिल -डॉक्टरों ने कहा, इसी तरह राज्यसभा में पेश ना करें बिल -संशोधन के साथ ही पेश किया जाए

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , हाल ही में देशभर में हुई डॉक्टरों की हड़ताल के बाद कल एक बार फिर दिल्ली के लोगों को हड़ताल का सामना करना पड़ सकता है। नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) बिल के आर्टकिल 15 और 32 में बदलाव करने की डाक्टर बिरादरी मांग कर रही है। कें द्र सरकार की संवेदनहीनता के विरोध में बृह्स्पतिवार को चौबीस घंटे के लिए दिल्ली के अधिकांश निजी और सरकारी अस्पतालों के डाक्टर इलाज न करने का फैसला लिया है। वे स्वास्थ्य सेवाएं पुरी तरह से ठप रखेंगे। इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं निर्बाध रूप से चलेगी।
गुस्सा क्यों:
दरअसल, लोकसभा में पारित एनएमसी बिल को अब राज्यसभा में पारित करने की तैयारी कर रही है। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हषर्वर्धन से बीते सप्ताह हुई मुलाकात एनएमसी विधेयक में बदलाव संबंधी कुछ सुझाव दिए थे। लेकिन शामिल ही नहीं किया साफ है कि झूठा आासन दिया। लोकसभा में हुबहू मनमर्जी से पेश कर दिया गया। अब उसे राज्यसभा में पेश करने की तैयारी कर ली है। जिसका डाक्टर बिरादरी विरोध कर रही है। उनका कहना है कि अब हमारे पास सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं का बहिष्कार कर का एकमात्र रास्ता बचा है। इसका मकसद यह है कि केंद्र सराकर ध्यान अपनी तरफ आकषिर्त करना है।
मरीजों को दिक्कतों के लिए सरकार है जिम्मेदार:
डाक्टरों ने कहा कि मरीजों को हमारे इस फैसले से दिक्कतें जरूर होंगी लेकिन इसका कसूरवार केंद्र सरकार की डाक्टर विरोधी ढुलमूल नीतियां है। वह अपनी मनमर्जी कर रही है। मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ ही निजी क्षेत्र और डाक्टर बनने का सपना देख रहे उन लाखों स्टूडेंट्स का भविष्य खतरें में पड़ सकता है। परीक्षा लेना अच्छी बात है लेकिन कॉलेज के प्रशासनिक गतिविधियों की स्वतंत्रता खत्म करने वाले इस बिल को लाना सरकार का अनुचित कदम है।
खास बातें:
डॉक्टरों की मांग है कि बिल को जिस तरह से लोकसभा में पास किया गया है, उसी तरह से राज्यसभा में पेश न किया जाए। इसमें डॉक्टरों की मांग के अनुसार संशोधन करके इसे राज्यसभा में पेश किया जाए।
युवा डाक्टर्स भी हुए शामिल:
यूनाईटेड डॉक्टर्स रेजीडेंट्स एसोसिएशन (यूआरडीए) के प्रेजिडेंट डा. मनु गौतम की अगुवाई में यूआरडीए, फोर्डा और एम्स की आरडीए की लंबी मीटिंग हुई जिसमें यह फैसला लिया गया है कि यदि गुरु वार को इस बिल में डॉक्टरों की मांग के अनुसार संशोधन करके राज्यसभा में पेश नहीं किया जाता तो देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल रहेगी जिसमें दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक में सेवाएं बाधित रहेंगी।
सरकार से मांग:
बिल के आर्टकिल 15 और 32 में बदलाव किया जाएगा लेकिन सरकार इसमें बदलाव करने को तैयार नहीं है। वहीं, एम्स आरडीए के अध्यक्ष डा. अमरिंदर मल्ही एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कल सुबह 8 बजे से हड़ताल करने का फैसला लिया है, यदि बिल को इसी तरह राज्यसभा में पेश किया जाएगा। यदि संशोधन के साथ राज्यसभा में पेश किया जाएगा तो हड़ताल नहीं होगी।

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