ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,मातृत्व, नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य (पीएमएनसीएच) पर इस साल 12-13 दिसंबर को होने वाली पाटनर्स फोरम बैठक की अध्यक्षता भारत करेगा। इसका मकसद ऐसी रणनीति और समाधान सामने लाना है जो राजनैतिक गति को तेज करें और ज्ञान के विनिमय को आसान बनाए ताकि एसडीजी लक्ष्य 2030 हासिल करने में अंतरराष्ट्रीय रणनीति को लागू करने की गति तेज हो सके। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसमें 100 से ज्यादा देशों के 1200 साझेदार हिस्सा लेंगे। फोरम का लक्ष्य एक हजार से अधिक साझेदारों को साझी रणनीति पर एकजुट करना है ताकि पूरी दुनिया में महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में अहम सुधार लाया जा सके।
फोरम के सह प्रायोजक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुदान ने बताया कि इस दौरान दुनिया के कई देशों के प्रमुख, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य अहम लोग मौजूद रहेंगे। फोरम का फोकस दुनिया के विभिन्न भागों में महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में गुणात्मक बदलाव लाने वाले सफल कार्यक्रम के अनुभवों को साझा करने पर रहेगा।
उद्देश्य:
फोरम का गठन इस उद्देश्य से किया गया है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, सफाई तथा श्रम क्षेत्र यदि सभी मिलकर काम करें तो काफी कुछ हासिल किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और प्रतिबद्धताओं को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत को यह जिम्मेदारी दी है।
फोरम में महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरी दुनिया में चलाए जा रहे कार्यक्रमों के 12 केस स्टडी को पेश किया जाएगा। इनमें भारत में बच्चों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए चलाए जा रहे सार्वभौमिक टीकाकरण मिशन इंद्रधनुष है। यह मिशन स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ अन्य 11 मंत्रालयों के बीच तालमेल से चलाया जा रहा है। भारत दूसरी बार ग्लोबल पार्टनर्स फोरम की मेजबानी करने जा रहा है। इसके पहले 2010 में भारत में दूसरे फोरम का आयोजन किया गया था। इसके अलावा तीसरे फोरम का आयोजन 2014 में जोहानिसबर्ग और पहले का 2007 में दार-ए-सलाम, तंजानिया में किया गया था।
गुजरे चार वर्षो में एमएनसीएच के तहत हासिल लाभ:
यूनिसेफ जैसे विकास संगठनों ने महत्वपूर्ण योगदान किया है। पैदा होने वाले बच्चों में से ज्यादातर के जिन्दा रहने को बढ़ावा देने, विकास, सुरक्षा और भागीदारी के लिए ऐसे संगठनों ने सोशल मोबिलाइजेशन, एडवोकेसी और व्यवहार तथा सामाजिक बदलाव की रणनीति का उपयोग किया है।
– 2016 में मां और नवजात शिशु को टेटनस (एमएनटीई) होने के मामले खत्म करने की स्थिति हासिल कर ली। यह मुख्य रूप से प्रसाव के दौरान साफ-सफाई न रखने और नाभि नाल की देखभाल से संबंधित व्यवहार के कारण होता था। कुछ दशक पहले तक भारत में हर साल डेढ़ लाख से 2 लाख नियो नैटल टेटनेस के मामले होते थे। इस समय मां और नवजात शिशु को टेटनस के मामले कम होकर देश भर के 675 जिलों में एक हजार जन्म पर एक से भी कम रह गए हैं। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एमटीएन का वैलीडेशन अप्रैल 2015 में ही पूरा कर लिया और यह दिसंबर 2015 के विस्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य से काफी पहले थे।
-2020 के लक्ष्य से बहुत पहले ही संक्रामक बीमारी यॉज (त्वचा पर होने वाली गांठ) से मुक्त घोषित कर दिया गया और यह ऐसा पहला देश है।
-देश के सभी राज्यों में आयोजित मिशन इंद्रधनुष के दौर के कारण 2016-17 में भारत ने अपने वार्षिक टीकाकरण कवरेज में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
-स्वास्थ्य पण्राली के मजबूत होने और हाई रुटीन इम्युनाइजेशन कवरेज के कारण गुजरे चार वर्षो में चार नए वैक्सीन रोटावायरस वैक्सीन, आईपीवी, मीजिल्स रु बेला वैक्सीन और न्यूमोकोकल कॉनजुगेट वैक्सीन यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में शामिल किए गए हैं।
-यूनाइटेड नेंशंस इंटर एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोरटैलिटी, (यूएनआईजीएमई) ने 2018 में पांच साल में पहली बार पांच साल से कम के बच्चों की मौत के मामले कम होने की घोषणा की थी।
– इससे पहले, इसी वर्ष में, भारत ने बाल विवाह में सबसे ज्यादा कमी की रिपोर्ट दी थी।