वाल्मीकि, रविदास और अन्य संतों की शिक्षा पूरी मानवता के लिए है न कि किसी समुदाय विशेष के लिए: विहिप

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भारत चौहान नई दिल्ली , संतो की शिक्षा और उपदेश पूरी मानवता के लिए होते हैं न कि किसी विशेष समुदाय के लिए। ये उद्गार वि हिंदू परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष आलोक कुमार ने मंगलवार को यहां कांस्टीट्यूशन क्लब में भारतीय बौद्ध संघ द्वारा आयोजित सामाजिक समरसता सम्मेलन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि, रविदास, नानक जैसे संतों ने कोई भेदभाव न रखते हुए केवल करु णा, अहिंसा और भाईचारे का संदेश दिया।
वाल्मीकि रचित रामायण की चर्चा करते हुए आलोक कुमार ने कहा देश में समरसता का प्रभाव बढ़ रहा है। रामलीला के दौरान जहां अन्य चरित्रों को उजागर किया जाता है, वहीं आज रामलीला के पर्दे पर महर्षि वाल्मीकि के चित्र भी दिखाई देते हैं। नई दिल्ली के तुगलकाबाद के जिस क्षेत्र में संत रविदास स्वयं पधारे थे, वहां मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने ज़मीन देने का फैसला किया है। उन्होंने दावा कि 17 नवम्बर से पहले अयोध्या के बारे में फैसला आ जाएगा। उम्मीद है कि यह राम मंदिर के पक्ष में होगा। उन्होंने बताया कि भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ उसी परिसर में हनुमान और वाल्मीकि के मंदिर भी बनाए जाएंगे। श्री कुमार ने महर्षि वाल्मीकि के विचारों को प्रासंगिक बताते हुए भारतीय बौद्ध संघ के इस पहल की सराहना की। भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सम्मेलन के संयोजक भन्ते संघप्रिय राहुल ने महर्षि वाल्मीकि को श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि कोई भी भटका हुआ व्यक्ति कुमार्ग का परित्याग करके अपने जीवन को बदल सकता है और सफल बना सकता है। उन्होंने कहा कि बौद्ध संघ अन्य महापुरूषों के दिन भी मनाएगा। देश के अन्य भागों के साथ साथ जम्मू कश्मीर में भी संघ का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति डा. अंबेडकर की विचारधारा के अनुरूप है और बौद्ध संघ देशहित के सभी निर्णयों का स्वागत करेगा। सम्मेलन की अध्यक्षता राज्यसभा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया ने की। अन्य विशिष्ट अतिथियों में मनहर वाल्जी भाई झाला और बिंदेसरी पाठक शामिल थे।

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