देश की कैपिटल दिल्ली के डाक्टरों का है हाल बेहाल! -कहा हाडतोड़ मेहनत फिर भी खाने का पड़ रहे हैं लाले, न वेतन मिल रहा है न ही हैं सुविधाएं! -भला ऐसे कैसे लड़े महामारी कोरोना से

नियमित वेतन न जारी होने से, करना पड़ रहा वित्तीय संकट का सामना

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File Photo

ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,न वेतन मिल रहा है न ही जीवनरक्षक चिकित्सीय उपकरण की हालत अपडेट है, दवाएं भी तो है आधी अधूरी, 40 फीसद डाक्टरों समेत कोरोना वॉरियर्स का स्टाफ वैिक महामारी कोरोना की जद में आ चुका है। हालांकि इसमें से 38 फीसद तक स्वस्थ भी हो चुके हैं, लेकिन उन्हें महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है, बच्चों की फीस भरना तो दूर की बात है, सुबह, दोपहर, रात का भोजन सामग्री जुटाना अब दुभर हो चला है। चार माह से वेतन नहीं मिला है, बिजली,पानी का बिल तक नहीं जमा कर पा रहे हैं, परचून वाले उधारी राशन देने में अब तो आनाकानी करने लगे है। यह कहते हुए यहां उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदूराव अस्पताल में आंदोलनरत डाक्टरों में से एक रोहिणी ने कहा कि प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री डा. हषर्वर्धन, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जोन के चेयरमैन,महापौर, निगमायुक्त समेत कई शीषर्स्थ अधिकारियों तक से वेतन जारी करने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन किसी ने अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की।
तनाव, वित्तीय परेशानियां ने निकल पाना मुश्किल:
फेडरेशन ऑफ डाक्टर्स फेडरेशन (फोर्डा) के सदस्य डा. पंकज सोलंकी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कई डॉक्टरों को वेतन न मिलने से उन्हें वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है। यहां स्थित कस्तूरबा अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मारु ति सिन्हा ने कहा कि उनके बेटे ने चिकित्सा की पढ़ाई के लिए प्रतिष्ठित कालेज की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए वह उसकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएंगी या नहीं इस पर संशय है। हिंदू राव, कस्तूरबा और राजेन बाबू टीबी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें वेतन नहीं मिला है और अब वह तनाव तथा वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे हैं। हम डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जाना चाहते। यह अंतिम विकल्प होता है। मैं यहां परमानेंट डॉक्टर हूं और हमारी मांग पूरी न होने पर हम आंदोलन जारी रखेंगे। अनुमान है कि निगम के विभिन्न अस्पतालों में करीब 1200 से अधिक डाक्टर सेवारत है। इनमें से 40 फीसद अनुबंध पर सेवाएं दे रहे हैं। एक मरीज ने कहा कि समाज उन्हें भगवान मानता है लेकिन लोगों को समझना चाहिए कि डॉक्टर भी इंसान होते हैं।
तीनों निगम अस्पताल के डाक्टर सोमवार से हड़ताल पर:
म्युनिसिपल कार्पोरेशन डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. केशव सिंह, और महासचिव डा. प्रतीक गोयल कहा कि सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। रेजिडेंट डॉक्टरों को कम से कम जुलाई का वेतन मिला, लेकिन हमें तीन महीने से कुछ नहीं मिला। एसोसिएशन निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के वरिष्ठ स्थायी डॉक्टरों का संघ है और इसकी स्थापना 1974 में हुई थी।
महामारी से तो हम मुकाबला कर सकते हैं लेकिन खाली पेट संक्रमण से भला कैसे काम करें:
दिल्ली में निकाय द्वारा संचालित अस्पतालों में लंबित वेतन का संकट गहराने के साथ ही कई चिकित्सकों का कहना है कि वह महामारी से मुकाबला कर सकते हैं लेकिन कोरोना योद्धा खाली पेट नहीं लड़ सकते। स्वामी दयानंद अस्पताल के डा. के पी रेवानी ने कहा वेतन के बिना हमारी सारी योजनाएं रु क गई हैं। उन्होंने कहा हमारे बच्चों की ट्यूशन फीस, ईएमआई, कर्ज का भुगतान, कार के ऋण का भुगतान, घर का ऋण, यह सब कैसे चुकाएंगे।

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