भारत चौहान , मराठा समुदाय को सरकार की ओर से 16 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले के विरोध में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए बम्बई उच्च न्यायालय ने आरक्षण पर स्थगन आदेश देने से मना कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एन एच पाटिल और न्यायाधीश एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने आज याचिकाकर्ता जय श्री पाटिल के वकील गुणरत्न सदावत्रे ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। अदालत ने मामले की सुनवाई 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने एक दिसंबर को बम्बई उच्च न्यायालय में केवियट दाखिल किया था कि सरकार का पक्ष सुने बगैर कोई निर्णय इस संबंध नहीं लिया जाये। महाराष्ट्र के दोनों सदनों मे 29 नवंबर को मराठा समुदाय को विशेष वर्ग ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग’ के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव मंजूर किया गया था।
महाराष्ट्र में विभिन्न समुदायों के लिए पहले से ही 52 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी गयी है और अब मराठा समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण को सरकार ने मंजूरी दी है। इस तरह राज्य में कुल 68 प्रतिशत आरक्षण हो जायेगा। आरक्षण बिल पर महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी 30 नवंबर को हस्ताक्षर कर दिए हैं।
पिछले वर्ष जून में राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग को मराठा समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। गत माह आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।