लक्खी शाह वणजारा का 444वाँ जन्मोत्सव समागम बना यादगार

भारत सरकार द्वारा दिल्ली गुरूद्वारा कमेटी के सहयोग से करवाया गया सद्भावना कार्यकर्म

0
360

भारत चौहान नई दिल्ली, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अखिल भारतीय बंजारा समाज के सहयोग से भाई लक्खी शाह वणजारा का 444वां जन्म दिवस आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विशाल स्तर पर मनाया गया। दिनभर चले समागम में कर्नाटक, राजस्थान सहित कई राज्यों से आये बंजारा समाज के कलाकारों द्वारा अपनी संस्कृति से जुड़े कई सांस्कृतिक व रंगा-रंग कार्यक्रम पेश किये गये। पटियाला यूनिवर्सिटी पंजाब द्वारा भाई लक्खी शाह वणजारा के जीवन पर आधारित पेशकारी इस समागम का मुख्य आर्कषण का केन्द्र रही, जिसमें कई कलाकारों के द्वारा अपने अभिन्य के माध्यम से भाई लक्खी शाह वणजारा द्वारा ओरगंजेब के आदेश पर श्री गुरू तेग बहादुर जी को दिल्ली में शहीद किये जाने और इसके पश््चात भाई लक्खी शाह वणजारा द्वारा गुरू साहिब की पवित्र देह को रूई की बैलगाड़ी में छुपा कर गुरूद्वारा रकाब गंज साहिब वाली जगह स्थित अपने घर तक लाने और अपने घर को आग लगा कर गुरू साहिब का अंतिम संस्कार किये जाने को दर्शाया गया था।
इस अवसर पर  जी. किशन रेडडी केन्द्रीय मंत्री ने संबोधन करते हुए जहां भाई लक्खी शाह वणजारा की शहादत को प्रणाम किया वहीं दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी और सिक्ख समाज द्वारा दुनियाभर में मानवता की सेवा करने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश की सरहदों की रक्षा हो यां मुग्ल हकूमत के जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई हर मैदान में सिक्ख कौम ने डट कर मुकाबला किया और शहादत दी हैं।
दिल्ली गुरूद्वारा कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने भाई लक्खी शाह वणजारा द्वारा श्री गुरू तेग बहादुर साहिब प्रति की गई सेवा को नमन करते हुए बताया कि बंजारा समाज शुरू से ही सिक्ख गुरू साहिब का श्रृद्धालू रहा है और सिक्ख धर्म की आस्था का सत्कार करता है। इसलिए दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी भी वणजारा समाज को उनका बनता सत्कार देने के साथ-साथ उनको हर क्षेत्र में हमेशा सहयोग करेगी। श्री कालका ने भाई लक्खी शाह वणजारा का 444वाँ जन्म दिवस इतने विशाल स्तर पर मनाने के लिए भारत सरकार का भी आभार जताया।
दिल्ली गुरूद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिन्दर सिंह सिरसा ने कहा कि भाई लक्खी शाह वणजारा अपने समय के इतने बढ़े धनवान व्यापारी थे कि वो जहाँ भी जाते थे वहाँ लोगों की भलाई के लिए कुँए, रैन बसेरे आदि स्थापित करते रहे। श्री सिरसा ने कहा कि कोई भी व्यापारी याँ धनवान व्यक्ति किसी जालिम के साथ लड़ने का साहस नहीं दिखा पाता क्योंकि ऐसा करने पर उसको अपनी सुख-सुविधाओं, परिवार मिटने का खतरा महसूस होता है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here