सुषमा की पहल: नए एम्स खोलने संबंधी योजनाएं मील का पत्थर साबित हुई -आयुर्विज्ञान क्षेत्र में उनके स्वास्थ्य मंत्री रहने के दौरान किए गए विकासकायरे को हमेशा याद रखेगी डाक्टर बिरादरी

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बेशक अब हमारे बीच में नहीं है लेकिन आयुर्विज्ञान क्षेत्र में उनके स्वास्थ्य मंत्री पद पर काबिज रहते हुए जो विकासपूर्ण कार्य किए हैं उसे शदियों तक डाक्टर बिरादरी नहीं भुला पाएगी। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों से अटे रहने से मरीजों की दिक्कतों को कम करने का युद्धस्तर पर प्रयास किया। इसके तहत 6 नए एम्स खोलने की पहल उन्होंने ने ही की। उनके इस कदम से भोपाल, भूवनेर, जोधपुर, पटना, रायपुर, ऋषिकेश में 100 सीटों की क्षमता वाला एम्स खोले गए। इसके अलावा अभी रायबरेली, नागपुर, गुंटूर, गोरखपुर में इमारत का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
उनका योगदान अविस्मरणीय:
एम्स फैकल्टी से जुड़े कई वरिष्ठ चिकित्सकों की जबां पर उनके द्वारा आयुर्विज्ञान क्षेत्र में किए गए विकासकायरे को गिनाते नहीं थक रहे हैं। इसके तहत वे उनकी पहली उपलब्धि यह मानते हैं कि जब वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनी थी तब उन्होंने पहले एम्स का पुर्नविकास योजनाओं संबंधी सालों से लंबित फाइलों को पास कर हरी झंडी दिखाई। कई शोध केंद्रों की स्थापना के साथ ही मरीज डाक्टर के मध्य दूरी को खत्म करने, आए दिन एम्स में होने वाली हड़ताल को खत्म करने के लिए वे डाक्टर हो या पैरामेडिकल स्टाफ, उनकी आम सभा में खुद मौजूद रहती थी। उनकी समस्याओं को उन्होंने ध्यान से ग्राउंड पर रहकर अहसास कि या और उसे दूर भी कर दिया। यही वजह है अब एम्स समेत अन्य केंद्र सरकार के अस्पतालों में डाक्टरों के अलावा ग्रुप सी एंड डी, नर्सिग स्टाफ की दिक्कतों को दूर किया। एम्स के पूर्व निदेशक डा. एमसी मिश्रा ने कहा कि जेपीएन ट्रामा सेंटर, सफदरजंग, आरएमएल जैसे अस्पतालों का एक्सटेंशन योजना उनके कार्यकाल में ही तैयार की गई। जिसे उन्होंने प्रारंभ करने के लिए हर स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर संबंधित विभागों से तालमेल बनाया। उनका मानना था कि किसी भी मरीज को इलाज बिना वंचित नहीं रखा जा सकता है। सरकार का नैतिक कर्त्तव्य है कि हर नागरिक को बेशक वह किसी भी प्रांत, शहर या देश का रहने वाला है, सब को गुणवत्तापूर्ण नैदानिक सेवाएं मिलनी चाहिए। हमें बतौर स्वास्थ्य मंत्री उनके द्वारा किए गए कायरे को याद रखना होगा।
योजनाएं साबित हुई मील का पत्थर:
पीजीएएआईआर से संबद्ध डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल के डीन एवं यूरो सर्जरी यूनिट के अध्यक्ष डा. राजीव सूद ने कहा कि यहां एमबीबीएस, पीजी पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने में उनका योगदान अनुकरणीय रहा है। दवाओं की उपलब्धता, डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने, जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनों को स्थापित करने में उनका रूझान रहा। एक बार का जिक्र करते हुए डा. सूद ने कहा कि वे मरीजों को वितरित किए जाने वाले खाने का टेस्ट जानने के लिए खुद ही साधारण महिलाओं की तरह किचन में चली गई। मरीजों के मन की बात जानने के लिए उनकी समस्या सुनने के लिए वार्ड्स का भी दौरा तो वे अक्सर ही करती रहती थी। मरीजों के प्रति उनका करुणाभाव सराहनीय रहा। भोपाल के मूलत: रहने वाले और सफदरजंग अस्पताल में डिपार्टमेंट आफ गैस्ट्रोएंट्रालॉजी यूनिट में कार्यरत डा. एसके बंसल ने कहा कि वैसे तो दिवंगत नेता सुषमा स्वराज का कई राज्यों से रहा है, मगर सियासी तौर पर मध्य प्रदेश से उनका नाता काफी मजबूत रहा है। क्योंकि वह मध्य प्रदेश के विदिशा से एक बार नहीं, बल्कि दो बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं। सुषमा स्वराज साल 2009 और 2014 में विदिशा लोकसभा सीट से ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं थी। जब वे पहली बार यहां से सांसद बनी थी उसी वक्त उन्होंने कहा था कि वे भोपाल में दिल्ली एम्स की तरह ही एक नए एम्स की स्थापना करेंगी।

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