महिलाओं के लिए संजीवनी बना समीर -अब तक 500 से ज्यादा महिलाओं को मिला है जीवन -कई महिलाओं ने अपनी बीमारी और इलाज को किया साझा

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली कुछ माह पहले एक इन्फीरियर वाल हार्ट अटैक पड़ा था। डॉक्टरों ने बताया कि हृदय में रक्त की आपूर्ति करने वाली दो धमनियों में गंभीर अवरोध था। लेकिन परिवार की हालत ठीक नहीं होने के कारण जब कहीं से फाउंडेशन के बारे में जानकारी मिली तो दिल्ली आकर संपर्क किया। जिसके बाद राष्ट्रीय हृदय संस्थान में एक कोरोनरी आर्टरी बाईपास पंप सर्जरी कराई गई। पेसमेकर भी लगया गया। ये कहना है नेपाल निवासी 66 वर्षीय महिला काली का।
गुरु वार को आईटीओ स्थित आईएमए भवन में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के समीर मलिक हार्ट केयर फाउंडेशन फंड का वार्षिक दिवस आयोजित हुआ। इस दौरान उन सभी महिलाओं को बुलाया गया जिनका मुफ्त उपचार कराकर नया जीवन मिला। इस दौरान मौजूद मुख्य अतिथि कथक नृत्यांगना पद्म भूषण उमा शर्मा ने महिलाओं की हौसलाफजाई भी की।
आंकड़ों में देश की सच्चाई:
फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि भारत में पिछले दो दशकों में महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है, खासकर प्रजनन उम्र वाली महिलाओं में। अनुमान है कि भारत में प्रति वर्ष 1 करोड़ मौतों में से करीब 20 लाख मौतें संचार पण्राली संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं और इनमें 40 प्रतिशत महिलाएं हृदय रोगों के कारण मर जाती हैं। ईएसआई के तहत 21 हजार रु पये या इससे कम आय वालों को कवर किया जाता है, लेकिन 21 हजार से अधिक आमदनी वाले लोगों के लिए यह अनिवार्यनहीं है। इन्हें स्वास्थ्य बीमा को आवश्यक करने की जरूरत है।
इन महिला को भी मिली संजीवनी:
कार्यक्रम के दौरान मथुरा निवासी 22 वर्षीय माधवी ने सुनाई। बचपन में उसे सांस न आने और बेहोश होने की शिकायत हुई थी। जीबी पंत अस्पताल में एम्प्लेट्जर डक्टल ऑक्ल्यूडर (एडीओ) के जरिये माधवी का एक पीडीए क्लोजर किया। ऐसा करने से उसकी छाती पर सर्जरी का निशान होने से बच गया। एक और सफल मामला एक वर्षीय बेबी पूर्वी का है, जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित थी। इसके हृदय की धमनियों में डेक्स्ट्रो ट्रांसपोजीशन था। मेदांता अस्पताल में एक आट्रियल स्विच प्रोसीजर (सेनिंग) के जरिये उसका सफल इलाज हुआ।

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