आरएमएल के वैज्ञानिकों का शोध में खुलासा – चेस्ट इन्फेक्शन, एनीमिया और लंग्स डिजीज के चलते दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़े

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , अस्पताल में भर्ती होने के दौरान संक्रमण के बढ़ते मामले में अधिकांश अस्पताल प्रशासन विफल साबित हो रहे हैं। नए तथ्य ये हैं कि दिल का दौरा पड़ने के बाद 80 फीसद मरीजों में होने वाले सीने में संक्रमण, रक्ताल्पता (एनीमिया) और फेफड़ों में संक्रमण होना आब बात होती है। हृदय शल्यक्रिया व स्टेंटिंग के बाद यदि इन संक्रमणों को नियंत्रित नहीं किया जाता तो 90 फीसद मरीजों को इन संक्रमणां की वजह से एक से दो माह के दौरान अस्पताल में दोबारा भर्ती करना पड़ता है।
डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल मे कार्डियालॉजी यूनिट में हार्ट फेल्योर (हृदयागात) के मरीजों पर किए गए शोध में इन तथ्यों का खुलासा किया गया। शोध में यह पता लगाया जाना था कि हार्ट फेल्योर के जिन मरीज का पूरी तरह इलाज किया जाता है, आखिर उन्हें अगले एक से दो माह के दौरान दोबारा अस्पताल में क्यों दाखिल होना पड़ता है। इसके पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए हृदय रोग विभाग के वैज्ञानिकों ने 18 से 70 साल की उम्र के 105 लोगों की पेशेंट समरी पर शोध किया।
अस्पताल में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डा. नीरज पंडित का कहना है कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जिन लोगों का हार्ट फेल होता है, उनका पूरा इलाज करने पर जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाती है तो ज्यादातर मरीजों के 60 दिनों के अंदर दोबारा अस्पताल में एडमिट होने की स्थिति आ जाती है। सही समय पर और पूरी दवा ना खाना एक बड़ा कारण है जिसके बारे में सब जानते हैं लेकिन इसके अलावा अन्य कारणों को जानने के लिए यह शोध हुआ। जिन लोगों को इलाज के 60 दिनों के भीतर दोबारा एडमिट होने की जरूरत पड़ती है, उनमें चेस्ट इन्फेक्शन, एनीमिया और लंग्स डिजीज (फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां) यह तीन सबसे बड़े कारण पाए गए।
चेस्ट इंफेक्शन व एनीमिया: हार्ट फेल्योर में ट्रीटमेंट के बाद कई तरह की दवाएं खाने और सही ढंग से खाना ना खा पाने की वजह से शरीर में आयरन की कमी हो जाने के कारण हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है। तब हमारे शरीर में खून की कमी होना शुरू हो जाती है जिसको अनीमिया के रूप में जाना जाता है या ब्लड में आयरन की कमी से हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिसे एनीमिया के नाम से जानते हैं। हीमोग्लोबिन की मदद से ही फेफड़ों से साफ ऑक्सीजन लेकर ब्लड में पहुंचाई जाती है।

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