रिजर्व बैंक भुगतान पण्राली के लिए अलग नियामक के खिलाफ , असहमति दर्ज की

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भारत चौहान भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान और निपटान कानूनों में बदलाव के बारे में सरकार की एक समिति की कुछ सिफारिशों के खिलाफ कड़े शब्दों वाला अपना असहमति नोट सार्वजनिक किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि भुगतान पण्राली का नियमन केंद्रीय बैंक के पास ही रहना चाहिए। सरकार ने आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में भुगतान और निपटान पण्राली (पीएसएस) कानून, 2007 में संशोधनों को अंतिम रूप देने के लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी। समिति ने रिपोर्ट के मसौदे में भुगतान संबंधित मुद्दों के लिए एक स्वतंत्र नियामक, भुगतान नियामक बोर्ड (आरआरबी) के गठन का सुझाव दिया है। रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि ने समिति को जो असहमति नोट दिया है उसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक से बाहर भुगतान पण्राली के लिए अलग नियामक का कोई मामला नहीं बनता है। नोट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक नए पीएसएस विधेयक के पूरी तरह खिलाफ नहीं है। इसमें कहा गया है लेकिन , ‘‘जहां तक भारत का संबंध है , बदलाव ऐसा नहीं होना चाहिए कि इससे मौजूदा ढांचा ही हिल जाए और बेहतर तरीके से काम कर रही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना पाने वाले इस ढांचे में किसी तरह का व्यवधान खड़ा हो जाए।’’ रिजर्व बैंक ने कहा कि भुगतान पण्राली देश की करेंसी व्यवस्था का ही एक सहायक अंग है जिसका नियमन केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है। कार्ड जैसी भुगतान पण्राली के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि वैिक स्तर पर बैंकों द्वारा कार्ड जारी किए जाते हैं। इसमें दोहरी नियमन पण्राली वांछित नहीं है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत में भुगतान पण्राली में बैंकों का दबदबा है। बैंिकग पण्राली और भुगतान पण्राली का नियमन समान नियामक द्वारा किए जाने से तालमेल बनता है और भुगतान माध्यमों पर जनता का भरोसा कायम होता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा भुगतान पण्राली का नियमन स्थिरता की सोच की दृष्टि से एक दबदबे वाला अंतरराष्ट्रीय मॉडल है। रिजर्व बैंक का कहना है कि भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) केंद्रीय बैंक के पास ही रहना चाहिए और इसके मुखिया केंद्रीय बैंक के गवर्नर होने चाहिए।

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