कैंसर के अच्छे इलाज इलाज के लिए अनुसंधान जारी मिल सकती है बड़ी कामयाबी

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ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा देश में कैंसर रोगियों की बढती संख्या पर गहरींिचता जताये जाने के बीच सरकार ने कहा कि देश की प्रमुख अनुसंधान संस्था सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक इसके उपचार एवं निदान के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं ताकि कैंसर रोगियों को सस्ता एवं सुलभ उपचार मुहैया कराया जा सके। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हषर्वर्धन ने उच्च सदन में कैंसर के मुद्दे पर हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक ईएनटी (कान-नाक-गला) चिकित्सक के रूप में उन्होंने स्वयं कई कैंसर पीड़ित रोगियों को देखा एवं उनका उपचार किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत में जो अनुसंधान हो रहा है, वह विकसित देशों से किसी भी तरह कम नहीं है। डा. हषर्वर्धन ने कहा कि सरकार की प्रमुख अनुसंधान संस्था वैज्ञानिक एवं अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की देश में लगभग 38 प्रयोगशाला हैं। दुनिया भर में 1207 ऐसे संस्थान हैं जिनमें सरकार के धन से अनुसंधान होता है। इनमें सीएसआईआर 10-12 वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि कैंसर अनुसंधान के बारे में सीएसआईआर की 8-10 प्रयोगशालाएं हैं। ये प्रयोगशालाएं रोगों की जल्द पहचान के लिए ‘‘बायोमार्कर’’ विकसित करने के काम में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में हैदराबाद में इसकी प्रयोगशाला ने ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के इलाज की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण खोज की है। जम्मू में सीएसआईआर के तहत आने वाली इकाई शोधकार्य, कैंसर रोधी दवा विकसित करने के काम में लगी हुई है। लखनऊ की प्रयोगशाला ब्रेस्ट कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान में लगी हुई है। डॉ हषर्वर्धन ने कहा कि 40 देशों ने मिलकर कैंसर के उपचार के क्षेत्र में शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम बनाया है जिसके सात संस्थापक देश में भारत भी है। उन्होंने कहा कि हमारा विभाग कैंसर से जुड़ी 52 परियोजनाओं को धन दे रहा है। उन्होंने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 155 करोड़ रूपये की धनराशि कैंसर से जुड़ी शोध परियोजनाओं के लिए आवंटित की है। आयुष्मान योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि करीब पौने ग्यारह करोड़ लोगों को इसका स्वत: लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि 27 क्षेत्रीय कैंसर केन्द्र में एक करोड़ रूपये का रिवांिल्वग फंड रखा गया है जिसमें चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) मरीज को पांच लाख रूपये तक की सहायता मौके पर प्रदान कर सकता है। डॉ हषर्वर्धन ने कहा कि देश में जेनेरिक दवाओं को बढावा देने के लिए पांच हजार जन औषधि केंद्र खोले गये हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर की दवाओं के दाम में विगत वर्षो में भारी कमी हुई है। उन्होंने कहा कि देश में बनने वाले ‘एम्स’ अस्पतालों के अंदर अलग से कैंसर का विभाग प्रस्तावित है जिसमें छह में काम शुरु है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत अब गरीब मरीज को 15 लाख रुपये रुपये तक का अनुदान मिलता है। डॉ हषर्वर्धन ने कहा कि इस समय देश में कैंसर के उपचार के 482 केन्द्र हैं जहां 695 टेलिथैरेपी मशीनें लगी हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के झज्जर में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय एशिया के जिस सबसे बड़े कैंसर शोध संस्थान की परियोजना की आधारशिला रखी गयी थी उस पर आगे का काम तेजी से बढ रहा है। यहां ओपीडी कार्यरत है और 300 करोड़ रुपये की लागत वाली प्लूटोन थैरेपी मशीन रोगियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध होगी जहां अधिक संख्या में नमूनों की जांच की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आयुव्रेदिक दवाओं के शोध और उपयोग से कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव में काफी कमी आई है और इस क्षेत्र में भी शोध को और प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता कार्यक्रम के कारण भी गैर संचारी रोगों के प्रसार में रोक लगाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली, प्रदूषण और दूषित खान पान भी कैंसर के कारक बन रहे हैं । इस बारे में जागरुकता बढाने के प्रयास किये जा रहे हैं और लोगों को नियमित चेकअप के लिए जागरूक करना होगा ताकि कैंसर का प्रथम चरण में पता लगाने में मदद मिले जिस स्थिति में उपचार की पूरी संभावना होती है। उन्होंने कहा कि सरकार अस्पतालों को प्रौद्योगिकीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प है।

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