राहत: मिलेगी कैंसर रोगियों को राहत, शुरुआत में ही होगी अब कोशिाकाओं के प्रजनन की जांच – जीबी पंत में एचआरटीएम मशीन स्थापित, कैंसर समेत अन्य बीमारियों का सबब बनने वाली जहरीली कोशिकाओं की जांच -फिलहाल यह सुविधा है सिर्फ एम्स में ही, जहां वेटिंग है सालों की जांच कराने के लिए

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , दिल्ली सरकार के सुपस्पेशिलिटी अस्पताल जीबी पंत में उच्च क्षमता वाली इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी जांच (एचआरटीएम) की सेवा शुरू हो गई है। इस आधुनिक तकनीक के जरिए पैथोलोजी लैब में होने वाली कैंसर कोशिकाओं और ट्यूमर आदि की जांचें अधिक सटीक तरीके से हो सकेंगी। खास बात यह है कि फिलहाल उच्च क्षमता वाली इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी जांच राजधानी में सिर्फ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ही उपलब्ध है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी)से संबंद्ध गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल इस विधि के जरिए रोगों की जांच करने वाला दिल्ली सरकार का पहला अस्पताल बना गया है। इस तकनीक के अस्पताल में आने से हजारों मरीजों को लाभ मिलेगा।
सटीक जांच में कारगर है तकनीक:
अस्पताल के निदेशक डॉक्टर संजय त्यागी का कहना है कि आमतौर पर पैथोलोजी और रेडियोलॉजी लैब में होने वाली जांचों में एक्सरे और एमआरआई जैसी मशीनों का इस्तेमाल होता है। हालांकि नई तकनीक अधिक सटीक तरीके से ऊतकों और कोशिकाओं को स्कैन कर तस्वीर बनाने में सक्षम है जिससे कैंसर, ट्यूमर आदि की जांचें बेहद सटीक तरीके से हो सकेंगी। इस तकनीक में निर्वात में इलेक्ट्रोन की बहुत सूक्ष्म बीम को शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों पर डाला जाता है। यह ऊतकों की सतह पर मौजूद परपमाणुओं का बेहद सूक्ष्म तरीके से विश्लेषण करने में सक्षम है। किसी ऊतक पर ट्यूमर अगर बेहद छोटी स्टेज में बन रहा है तो यह न सिर्फ उसे आसानी से पकड़ने में सक्षम है बल्कि उसकी बेहद सूक्ष्म संरचना का पता लगाने में भी कारगर है। डॉक्टर संजय त्यागी ने बताया कि इसके जरिए बेहद सटीक तरीके से सैंप लेकर जांच की जा सकती है।
नई दवाएं बनाने का रास्ता खुलेगा:
इस तकनीक से न सिर्फ सटीक तरीके से ऊतकों और कोशिकाओं की जांच होगी बल्कि नई दवाएं बनाने में होने वाले शोध कार्यों में भी मदद मिलेगी। कोशिकाओं में होने वाली बेहद सूक्ष्म बायोलोजिकल क्रियाओं को समझने में उच्च क्षमता वाली इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी की मदद ली जा सकती है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि किसी दवा के लेने से कोशिकाओं में किस तरह का बदलाव हो रहा है।
पेंट, कॉस्मेटिक और ऊर्वरकों के नुकसान का सटीक असर बताएगी:
नई मशीन के जरिए पेंट, कॉस्मेटिक उद्योगों और उर्वरकों के बेहद सूक्ष्म जहरीले कणों का कोशिकाओं पर पहले से सटीक तरीके से असर पता लगाया जा सकेगा। इसके बाद इनसे बचने के लिए नई दवाएं बनाने में भी मदद मिलेगी। इस तकनीक में इस्तेमाल होने वाली मशीनों की कीमत 4.5 करोड़ रु पये है। केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इसके लिए अनुदान दिया है।

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