राम मंदिर ट्रस्ट में ’संघ-विहिप के लोग’ होंगे, तराशे गए पत्थर ट्रस्ट को सौंपे जाएंगे : आरएसएस

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ज्ञान प्रकाश कानपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी और वरिष्ठ प्रचारक ने कहा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट में ’राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, विंिहदू परिषद के लोग’ होंगे और अयोध्या के कारसेवक पुरम में मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थर इस ट्रस्ट को सौंप दिए जाएंगे। उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला देते हुए शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे और साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए किसी दूसरी जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाए। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के एक अखिल भारतीय पदाधिकारी ने बताया, ’अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और विंिहदू परिषद के लोग होंगे।’ आरएसएस प्रचारक से यह पूछा गया था कि क्या राम मंदिर आंदोलन में संघ की भूमिका यहीं तक होगी। यह पदाधिकारी राम मंदिर आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश में संघ के प्रचारक थे और आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। अयोध्या के कारसेवक पुरम में मंदिर निर्माण के लिए तराशे जा रहे पत्थरों के बारे में उन्होंने कहा, ’मंदिर बनाने के लिए जो पत्थर तराशे जा रहे हैं, उसे विंिहदू परिषद के लोग मिलकर करा रहे हैं। ये पत्थर मंदिर निर्माण के लिए ही हैं। ट्रस्ट ही मंदिर बनाएगा और ये पत्थर हम उसे सौंप देंगे। इसीलिए तो इतने वर्षों से वहां काम चल रहा है।’ उन्होंने कहा, ’हमलोग सहयोगी के नाते राम मंदिर बनाने में जो सहयोग कर सकते हैं, करेंगे।’ उन्होंने कहा, ’राम मंदिर पुराना मुद्दा था, लेकिन 1984 के आसपास राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की स्थापना के बाद इस मुद्दे पर जनजागरण का काम हुआ। इसमें अशोकंिसघल, रामचंद्र परमहंस दास, महंत अवैद्य नाथ और कांग्रेस के एक पुराने नेता दाऊ दयाल खन्ना शामिल थे।’ आरएसएस पदाधिकारी ने आगे बताया, ’1992 के आंदोलन के समय मैं लखनऊ में था। लखनऊ में कर्फ्यू लगा था और सड़कों पर लाखों लोग उतर आये थे। इतने लोग तो अयोध्या नहीं जा सकते थे, तो ये कहा गया कि अयोध्या की ओर मुंह करके दस कदम चलें और राम नाम का जाप करें, इतना करने से ही कारसेवा मान ली जाएगी।’ उन्होंने बताया, ’इस मुद्दे को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रत्येक गांव में ‘राम शिला पूजन’ का कार्यक्रम किया गया और सवा रुपये दक्षिणा के साथ शिला को अयोध्या मंगवाया गया, अयोध्या से देश के प्रत्येक गांव में ‘राम ज्योति’ भेजी गई और कहा गया कि इस ज्योति से ही दीवाली मनाएं। कुछ सरकारों ने इस ज्योति को ले जाने पर प्रतिबंध लगाया तो इसे बाल्टी में छिपाकर ले जाया गया।’

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