सुप्रीम कोर्ट पंहुची राफेल लड़ाकू विमान की खींचतान

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भारत चौहान नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय में आज एक याचिका दायर कर फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के केंद्र के फैसले की स्वतंत्र जांच कराने और सौदे पर आने वाली लागत का संसद के समक्ष खुलासा करने की मांग की गई है। याचिका इस सप्ताह के दौरान सुनवाई के लिये आ सकती है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि वह समूचे सौदे पर आने वाली लागत का खुलासा संसद और जनता के समक्ष करे। कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला के द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘ प्रतिवादियों: केंद्र और रक्षा मंत्रालय: को निर्देश दिया जाए कि वे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में आने वाली कुल लागत का खुलासा करें।’’ याचिका में केंद्र को यह बताने का निर्देश दिये जाने की मांग की गई है कि क्यों 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के साथ इन विमानों की खरीद के लिये करार पर हस्ताक्षर करने से पहले रक्षा खरीद प्रक्रिया: डीपीपी: के तहत इस बाबत मंत्रिमंडल की मंजूरी नहीं ली गई। याचिका में दावा किया गया है कि डसॉल्ट से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिये रक्षा सौदे की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस की राजकीय यात्रा के दौरान की गई।याचिका में कहा गया है, ‘‘ यह प्रधानमंत्री की पेरिस यात्रा को चमक- दमक प्रदान करने का एक प्रयास था। यह घोषणा सौदे के बारे में जल्दबाजी में की गई घोषणा थी। इसकी घोषणा सामान्य प्रक्रिया, औपचारिक प्रक्रिया का पालन किये बिना की गई।’’ राफेल सौदे के तहत 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये भारत और फ्रांस की सरकारों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। राफेल लड़ाकू विमान दोहरे इंजन वाला अनेक भूमिकाएं निभाने वाला मध्यम लड़ाकू विमान: एमएमआरसीए: है। इसका निर्माण फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन करती है।

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