ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, भारत से वि की सबसे घातक बीमारी (मलेरिया) के उन्मूलन और नियंतण्रके लिए अब दुनियाभर की अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं के समूह ने एम-2030 की पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शीषर्स्थ वैज्ञानिक एम-2030 मिशन में शामिल हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जो उद्योग इस पहल का समर्थन करेंगे वह एम-2030 के ट्रेडमार्क का उपयोग कर सकेंगे, जिसके फलस्वरूप, उद्योग मलेरिया नियंतण्रके लिए सक्रीय अभियान चलाएंगे, और अपने मुनाफे का एक हिस्सा मलेरिया नियंतण्रमें निवेश करेंगे।
ऐसे काम करेगा:
एम-2030 द्वारा जो धनराशी एकत्रित होगी वह ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया को दी जाएगी जिससे कि ग्लोबल फंड उन्हीं देशों में मलेरिया उन्मूलन के लिए इसका उपयोग करे जिन देशों से यह धनराशी अर्जित की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लंदन में पिछले हफ्ते हुए मलेरिया समिट को समर्थन दिया। इस मलेरिया समिट में शामिल हुए अनेक देशों की सरकारों और उद्योगों के प्रमुख, वैज्ञानिक शोधकर्ता आदि ने ग्लोबल फंड और एशिया पैसिफिक लीडर्स मलेरिया अलायन्स (एपीएलएमए) के एम-2030 पहल का स्वागत किया।
वि में तीसरा सबसे अधिक मलेरिया दर भारत में:
वि स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में तीसरा सबसे अधिक मलेरिया दर भारत में है। भारत में 1 करोड़ 80 लाख लोगों को हर वर्ष मलेरिया रोग से जूझना पड़ता है। पिछले अनेक सालों में भारत ने मलेरिया नियंतण्रके लिए प्रगति की पर चुनौतियां भी जटिल हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने कहा कि सरकार ने 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का वादा किया है। हाल ही में लन्दन में संपन्न हुई कामनवेल्थ हेड्स आफ गवर्नमेंट बैठक में, भारत समेत अन्य देशों ने वादा किया कि, 2023 तक सभी 53 कामनवेल्थ देशों से, मलेरिया दर को आधा करेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क (2016-2030) को फरवरी 2016 में जारी किया था जो मलेरिया-मुक्त भारत के लिए सरकारी परियोजना है। जिसमें हमें अनुमान के अनुरूप सफलता मिल रही है।