घटिया वायरिंग, घनी आबादी में बेतरतीब ढंग से बने मकान मौत के रूप में अग्निकांड की घटनाओं को दे रहे हैं आमंत्रण! -प्रशासनिक संवेदनहीनता से हो रहा है राजधानी के विभिन्न कालोनियों के वांशिदों के जीवन के साथ खिलवाड़ -अग्निकांड: जोगाबाई की गली नंबर 7 स्थित मकान आर 887 ए में मचा कोहराम

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , दक्षिण दिल्ली के जाकिरनगर स्थित जोगाबाई एक्सटेंशन की गली नंबर-7, मकान संख्या आर-887 ए में मंगलवार को सन्नाटा पसरा था। किसी को अपने का जाने का शोक था तो कुछ के चेहरे पर इस भीषण अग्निकांड में अपनों के घायल होने व मेहनत की गाढ़ी कमाई राख में मिल जाने का गम। तो वहीं होली फेमली हास्पिटल की कैजुअलिटी में घायलों के लाए जाने से कोहराम मचा हुआ था। शार्टसर्किट से हुए अग्निकांड के बाद इस हादसे के लिए यहां के लोग ही स्थानीय निकाय को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि इलाके में घनी आबादी रहती है। मकान भी काफी कम गैप पर बने हुए हैं। यही कारण है कि दमकल के कर्मचारियों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ा।
सघन आबादी, जर्जर तारें हादशों की पुनरावृत्ति:
बेतरतीब तरीके से खड़े वाहन, संकरी गलियों की वजह से आग की सूचना मिलने के बाद अग्नि शमन की गाड़ियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए कम से कम डेढ़ घंटे तक की कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। डाक्टर, नर्सिग स्टाफ घायलों को हर संभव चिकित्सीय सेवाएं देने में जुटे थे। लेकिन उनका दर्द कम नहीं हो रहा था। अधिकांश की निगाहें अपनों को सकुशलन जानने के लिए बेचैन थी। उनका कहना था कि यहां पर अधिकांश मकान बेतरतीब तरीके से बने हैं, बिजली की वायरिंग भी कामचलाउ है। घटिया वायरिरंग से आए दिन यहां शॉस सर्किट होते रहते हैं।
हर चेहरे पर था दर्द:
दर्द से कराहते अथहर (36) तीसरी मंजिल से दमघोंटू दुआं की बदबू से आनन फानन में जब बाहर बालकॉनी में आए तो उसे यह एहसास तक नहीं कि उसकी ही बिल्डिंग में आग लग गई है। लोगों का शोर सुना और प्लाट के अन्य फ्लैटों से चीख पुकार सुनाई देने लगी। स्ट्रेचर पर वह दर्द से कराह रहा था, उसने बताया कि मैं खिड़की से नीचे उतरने का प्रयास कर रहा था, इस बीच पैर फिसल गया और नीचे गिर गया। उसे मल्टीपल फ्रैक्चर हुआ है। इस घटना में उसकी पत्नी नगमा (32) ने दम तोड़ दिया। वहीं साइमा झुलस गई है, उसकी स्थित को हालांकि डाक्टरों ने खतरे से बाहर बताया। उसकी रिश्तेदार रोहिमा का रो रोकर बुराहाल था। शरीक (30) के सिर में चोट लगी है। हाथ पैर झुलस गई है। उसका रो रोकर बुरा हाल है। फैज (20) और उमर (28) भी घायल हो गए हैं। फैज ने कहा कि अचानक धुएं से दम घुटने लगा। फिर खुद को अस्पताल में पाया। अदीबा का रो रो कर बुरा हाल था। उसने कहा कि पिछले सप्ताह भी इस ग्राउंड फ्लोर में शॉट सर्किट हुआ था। तार बदलवाने के लिए बिजली वालों ने कहा था लेकिन उसे नहीं बदला गया। घायलों में इनके अलावा शबाना (38), सब्बा (45) भी घायलों में शामिल है। उनकी हालत स्थिर बताई गई।
फायर कर्मी के जज्बे को सलाम:
फायर कर्मी रामनिवास ने कम से कम दर्जनभर से अधिक लोगों की जान बचाई। खुद की जान की परवाह न करते हुए उसने ऐसा किया। इमरजेंसी में भर्ती रामनिवास ने बताया कि वह घायल हो गया कोई बात नहीं लेकिन मेरे प्रयास से कई लोगों का जीवन बचाया, अपनी ड्यूटी दी। इस आश्य का हमें सकू न है। इनके जज्बे को यहां मौजूद अन्य लोगों ने भी सलाम किया।
आम होती जा रही है आग लगने की घटनाएं:
फायर ब्रिगेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण वायरिंग और बेतरीतब तरीके से बन रहे आवासीय कालोनियों की अनदेखी से ऐसे हादसों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। यही कारण है कि राजधानी में आग लगने की घटनाएं आए दिन देखने को मिल रही हैं। बीते 30 जुलाई को ही पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी के एक कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग में आग लग गई थी। जिस वक्त बिल्डिंग में आग लगी वहां सैकड़ों बच्चे पढ़ाई कर रहे थे।आनन-फानन में पूरी इमारत खाली करवाई गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि समय रहते दमकल विभाग के कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया और किसी प्रकार की अनहोनी होने से बच गई।

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