एनएमसी बिल में राजनीति शुरू, 29 को संसद के बाहर विरोध -डाक्टरों के साथ ही कांग्रेस, सपा के दिग्गज नेता के शामिल होने की है उम्मीद -केंद्र सरकार पर बनाएंगे एनएमसी बिल में परिवर्तन करने का दबाव

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ज्ञानप्रकाश,नई दिल्ली लोकसभा में लंबित एनएमसी बिधेयक के विरोध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) समेत केंद्र, दिल्ली सरकार व अन्य निकायों के अस्पतालों के चिकित्सक लामबद्ध हो रहे हैं। इसबार खास यह है कि डाक्टर बिरादरी के अलावा देशभर के रेजिडेंट्स एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अलावा कई राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता भी उनके समर्थन में उतरेंगे। केंद्र सरकार को इस पर बाध्य करेंगे कि प्रस्तावित एनएमसी विधेयक डाक्टर और मरीजों के विरोधी है। इसमें डाक्टर बिरादरी की राय के अनुरूप में कानूनी अम्लीजामा पहनाया जाए।
डाक्टर बिरादरी ने किया दावा:
इसके तहत 29 जुलाई को संसद मार्ग पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। फेडरेशन आफ डाक्टर्स एसोसिएशन के अनुसार नेशनल मेडिकल बिल के बहाने सरकार पर कई राजनैतिक पार्टियों ने मदद करने की संतुति प्रदान की है। जो अब तक केंद्र सरकार को संसद भवन में विरोध करती रही है वे अब डाक्टरों के साथ उनकी मांगों के समर्थन में विरोध करेंगी। फोर्डा के अध्यक्ष विवेक चौकसे के अनुसार इसमें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, सपा नेता प्रो. रामगोपाल यादव, बसपा के सतिश मिश्रा, डीएमके की कनीमोझी और सीपीआई-एम के सिताराम येचुरी के आने की संभावना है।
रेजिडेंट डॉक्टरों की संस्था यूनाइटेड आरडीए के चेयरमैन डॉ. अंकित ओम बताते हैं कि मौजूदा समय मे मेडिकल पेशा बहुत ही परेशानियों में धिरा है जिसका जल्द ही समाधान नहीं किया गया तो यह किसी बीमारी की तरह सुधार का मौका भी नहीं देगा। आज डॉक्टरों को लेकर समाज में जो धारणा बन गई है, वह व्यवहार में हिंसा के रूप में नजर आ रही है। स्थिति जल्द ही नहीं बदली गई तो डॉक्टरों का नजरिया भी मरीजों के लिए बदलने लगेगा। इससे सबसे ज्यादा नुकसान मरीजों को ही होगा। वहीं एनएमसी बिल इस समस्या को और बढ़ाएगा। जिसे लेकर यूनाइटेड आरडीए ने हेल्थ कान्क्लेव का आयोजन किया है।
विरोध क्यों:
एम्स आरडीए के अध्यक्ष डा. हरजीत भट्टी के अनुसार एनएमसी बिल के पास होने से मेडिकल की पढ़ाई का पूरी तरह से व्यवसायी करण हो जाएगा। मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे चाहकर भी इसकी पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। जिससे धीरे धीरे इस पर केवल और केवल धनाढ्य परिवारों का ही कब्जा हो जाएगा। इससे इलाज की गुणवत्ता कमतर और कीमत ज्यादा हो जाएगी। जो गरीबों के लिए सपना बन कर रह जाएगा। इसे रोकने के लिए रेजिडेंट डॉक्टर बिल की परिकल्पना से ही इसका विरोध कर रहे ह?ैं। 29 जुलाई को भी इस कान्क्लेव में देश के सभी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों को बुलाया गया है। इसके अलावा देश भर में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी डॉक्टरों की आवाज बुलंद करेंगे।

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