एम्स में अर्धसैनिक बलों का दखल मरीजों के लिये बना मुसीबत -डाक्टरों और मरीजों के हकों पर कब्जा

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शासन -प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि एम्स में गरीब मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया हो पा रही है कि नहीं पर इस पर एम्स प्रशासन संवेदनहीन है। एम्स के रिकार्ड के अनुसार इस समय एम्स के स्थायी गार्ड्स 95 है जबकि 124 अर्धसैनिक सुरक्षाकर्मियों को तीन पालियों में तैनात किया गया। जिन्हें एम्स के विभिन्न विंग के संवेदनशील यूनिटों में तैनात किया गया है। टकराव की वजह दरअसल, एम्स के एक अधिकारी ने कहा कि अर्धसैनिक बल ऐसे क्षेत्र में बेधड़क प्रवेश कर रहे हैं जहां पर डाक्टरों ने प्रवेश वर्जित है सख्त निर्देश दिए हैं। लेकिन ये सुरक्षाकर्मचारी वहां प्रवेश कर रहें हैं। इसके लिए एम्स फैकल्टी ने भी निर्देश जारी किया है।
शिकायत पहंची निदेशक कार्यालय:
एम्स के स्थायी सुरक्षाकर्मिंयों ने नियमों की अनदेखी करने संबंधी शिकायत एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया से की है। जिसमें कहा गया है कि अर्धसैनिक बलों के लिए तय सीमा के तहत ही ड्यूटी करने संबंधी सख्त निर्देश जारी किया जाय। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाए। पहले से ही एम्स में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड लगभग दो हजार से अधिक लगे हुए है और सरकारी एम्स के गार्ड भी 95 लगे हुये है। उसके बावजूद अर्ध सैनिक बलों का एम्स में सुरक्षा के नाम पर दखल एम्स के डाक्टरों का काफी दिक्कत व परेशानी कर रहा है अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि जिनकों देश की और बार्डर की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वे एम्स परिसर में वे-वजह अपनी ड्यूटी देकर समय बर्बाद कर रहे है।
मामला स्वास्थ्य मंत्री के दरबार में भी:
स्वास्थ्य जन मानस समिति व युग दृष्टि के अध्यक्ष राजेश कुमार का कहना है कि उन्होंने इस मामले में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अिनी चौबे को पत्र लिख इस मामले में हस्तक्षेप की बात की है और लिखा है कि अर्ध सैनिक बलों पर सरकार लाखों करोड़ों रूपये खर्च करती है जिनकी ड्यूटी बार्डर पर होनी चाहिये उनको एम्स में लगाकर वे बजह सरकार का करोड़ो रुपये खर्च किया जा रहा है

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