मरीजों की दिक्कतें होंगी कम, स्वास्थ्य विभाग तैयार कर रहा है सभी अस्पतालों को केंद्रीयकृत योजना -10 हजार 059 बेड में से सिर्फ 400 बेड वेंटिलेटर्स -इन 400 में से भी 52 वेंटिलेटर्स नहीं कर रहे काम – अस्पताल स्वयं एक-दूसरे से बनाएं तालमेल -मरीजों को बेड व वेंटिलेटर के लिए इधर-उधर ना भटकना पड़े

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भारत चौहान/ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , इन दिनों दिल्ली सरकार के अस्पतालों में वेंटिलेटर्स की कमी गंभीर मरीजों का जीवन बचाने के लिए चुनौती है। दिल्ली सरकार अब सभी सरकारी अस्पतालों एवं सरकार ने जिन अस्पतालों को रियायती दर पर भूमि आबंटित की है, केंद्रीयकृत करने की योजना बना रही है। इसके तहत अस्पतालों में वेंटिलेटर्स की स्थिति अन्य सुविधाओं में सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण, बैड की स्थिति की जानकारी आनलाइन होगी।

दरकार क्यों:

अस्पतालों में वैसे ही वेंटिलेटर्स की कमी है। ऊपर से जो वेंटिलेटर्स हैं, उनमें से भी बड़ी संख्या में वेंटिलेटर्स खराब पड़े हुए हैं जिसका खामियाजा मरीजों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है। इस पूरे मसले पर हाईकोर्ट ने हाल ही में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था क्यों न एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिससे सभी अस्पताल एक-दूसरे से जुड़े सकें। इसका फायदा यह होगा कि मरीजों व तिमारदारों को बेड या वेंटिलेटर्स के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ना पड़ता है। कई बार इस बीच मरीजों की मौत भी हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग सचिव संजीव खिरवार के अनुसार एक कंट्रोल रूम स्थापित करेंगे। जिसमें दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों की जानकारी हो। यह सभी अस्पताल एक-दूसरे से कनेक्ट रहेंगे। यदि किसी अस्पताल में मरीज को बेड या वेंटिलेटर नहीं मिलता है, तो वह अस्पताल दूसरे अस्पतालों से संपर्क साधे और बेड व वेंटिलेटर्स की स्थिति जानें। यदि किसी दूसरे अस्पताल में वह मौजूद है तो अस्पताल खुद एंबुलेंस के जरिए मरीज को उस अस्पातल में रेफर करे।

वर्तमान हालत है कन्फ्यूजन से भरी:

अब तक ऐसा होता है कि यदि किसी सरकारी अस्पताल में मरीज को बेड या वेंटिलेटर नहीं मिलता है तो अस्पताल प्रशासन तिमारदारों से कह देता है कि वह किसी दूसरे अस्पताल में जाकर वेंटिलेटर्स के बारे में पता कर आएं। यदि वहां वेंटिलेटर उपलब्ध है तो यहां से मरीज को ले जाएं। इसके चलते तिमारदारों को कई अस्पतालों में चक्कर काटने पड़ते हैं और इसी जद्दोजहद में मरीज की मौत हो जाती है। हालांकि इस वक्त भी एक कंट्रोल रूम चलाया जा रहा है जिसमें वेंटिलेटर्स बेड और एच1एन1 व डेंगू के मरीजों के लिए बेड्स की जानकारी दी जाती है। इसके लिए एक नंबर भी जारी किया गया है जहां से लोग फोन करके जानकारी ले सकते हैं। लेकिन यह पहल बेअसर साबित हो रही है।

केंद्र सरकार अस्पताल भी जुडेंगे:

केंद्र सरकार के अस्पतालों को भी इसी तरह का कंट्रोल रूम को दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। अस्पतालों में तालमेल होगा और जरूरत पड़ने पर मरीजों को सही समय पर वेंटिलेटर्स और बेड की सही जानकारी मिल सकेगी। जिससे मरीजों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि मई के पहले सप्ताह तक एक्शन टेकन रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

यह भी:

दिल्ली सरकार के 33 अस्पतालों में 10 हजार 059 बेड हैं जिसमें से केवल 400 वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड हैं जिसमें से 52 वेंटिलेटर्स खराब पड़े हैं या किसी अन्य वजह से काम में नहीं लाए जा रहे हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक केवल 3.4 प्रतिशत यानी 348 वेंटिलेटर्स वाले बेड चल रहे हैं जो दिल्ली की संख्या के हिसाब से बेहद कम है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दिल्ली की जनता को कवर करने के लिए अस्पतालों में कम से कम 10 प्रतिशत वेंटिलेटर्स बेड का होना आवश्यक है।

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