भारत वि में सर्वाधिक मलेरिया मामलों वाले चार देशों की सूची से बाहर -भारत जल्द ही होगा मलेरिया मुक्त: डा. खैतरपाल

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ज्ञानप्रकाश नयी दिल्ली, देश में मलेरिया के मामलों में 2017 और 2018 के बीच 28 प्रतिशत की बड़ी कमी आने से राष्ट्र अब वि में सबसे अधिक मलेरिया मामलों वाले चार देशों की सूची से बाहर हो गया है।
यह खुलासा वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ‘वि मलेरिया रिपोर्ट 2019’ में किया गया है। ‘मलेरिया नो मोर इंडिया’ संगठन की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार मलेरिया से अत्यधिक प्रभावित 11 देशों में भारत उन दो राष्ट्रों में शामिल था जहां 2017 और 2018 के बीच इस बुखार के मामलों में बड़ी गिरावट आई। रिपोर्ट में मलेरिया के मामलों में 28 प्रतिशत तक कमी आने की बात कही गई । इससे पहले 2016 और 2017 के बीच मलेरिया के मामलों में 24 प्रतिशत की कमी आई थी ।
मलेरिया नो मोर इंडिया ने देश में साल दर साल इस बुखार के मामलों और इससे होने वाली मौतों की संख्या में कमी और वंचित लोगों को इस बीमारी के प्रभाव से बचाने के प्रयासों के लिए सराहना की है।
रिपोर्ट के अनुसार वि के चार सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित देशों की सूची से निकलने के बावजूद भारत अभी भी उन 11 देशों में एकमा गैर अफ्रीकी देश है, जहां दुनिया भर में सबसे अधिक मलेरिया के मामले हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत उन 11 देशों में एकमा ऐसा देश है जिसने 2017–18 के बीच मलेरिया से मुकाबला करने के लिए घरेलू स्तर पर व्यय में इजाफा किया। केंद्र सरकार ने 2019 में अतिरिक्त राशि उपलब्ध करायी। पिछले दो वर्षों के दौरान राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियांण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के तहत राशि को करीब तीन गुना कर दिया ।
मलेरिया नो मोर इंडिया के भारत के निदेशक डाक्टर संजीव गायकवाड़ ने रिपोर्ट पर कहा, ‘‘मलेरिया की रोकथाम के लिए भारत के लगातार प्रयासों की तारीफ की जानी चाहिए। इस बीमारी को नियांित करने के लिए सभी पक्षों-सरकार, निजी क्षेा और नागरिकों को एकजुट कर देश में जागरुकता बढ़ाने पर जोर देने के साथ ही मलेरिया के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव से मुकाबला किया गया। मलेरिया गर्भवती महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को आसानी से जकड़ता है।’’
श्री गायकवाड़ ने कहा कि मलेरिया की रोकथाम की दिशा में काफी हद तक सफलता हासिल कर लेने के बावजूद इसे और काबू में करने के लिए लगातार ध्यान और संसाधन बनाये रखने जरूरी है। देश में मलेरिया को नियांण करने के लिए इसी तरह मजबूती से उठाए जा रहे कदमों से 2030 तक मलेरिया से मुक्ति का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
देश में वर्ष 2000 की तुलना में मलेरिया के मामले आधे से भी कम रह गए हैं और इस बुखार से होने वाली मौतों में दो-तिहाई से भी अधिक गिरावट आई है। वर्ष 2016 में देश का पहला मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (2016.2030) आया था। इस कार्यक्रम के बाद से ही मलेरिया को काबू करने की दिशा में ठोस काम हो रहा है । वर्ष 2017.18 में एनवीबीडीसीपी के लिए 468 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी जिसे अगले वर्ष बढ़ाकर 491 करोड़ रुपए और 2019.20 के लिए 1202.81 करोड़ रुपए कर दिया गया ।
श्री गायकवाड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 2030 तक मलेरिया के देश से उन्मूलन का संकल्प लिया है और जिस तरह से इस बीमारी पर काबू पाया जा रहा है उम्मीद है कि इस लक्ष्य को पहले ही हासिल कर लिया जायेगा।
इस बीच वि स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक डा. पुनम खैतरपाल ने उम्मीद जताई है कि जिस गति से भारत में मलेरिया के ग्राफ में की दर्ज की जा रही है यह तय है कि जल्द ही भारत मलेरिया विषाणुओं से मुक्त होगा।

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