दिल्ली के सरकारी डाक्टर गांधीगिरी की राह पर – राजघाट से आंदोलन, काली पट्टी बांधकर काम करेंगे डॉक्टर

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File Photo

ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) प्रस्तावित बिल के विरोध में केंद्र सरकार की चुप्पी का खामियाजा अब राजधानीवासियों को भुगतना पड़ेगा। केंद्र और दिल्ली सरकार के 83 अस्पतालों में कार्यरत करीब 18 हजार जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स गांधीगिरी के तहत आंदोलन की शुरुआत राजघाट स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पण के साथ करेंगे। इसके उपरान्त अगले चौबीस घंटे यानी सोमवार और मंगलवार को बाहृय रोगी सेवाएं (ओपीडी) के तहत काली पट्टी बांधकर विरोध करेंगे। यदि इस दौरान सरकार ने प्रस्तावित एनएमसी बिल में डाक्टरों की सिफारिशों को लागू करने का सरकार ने लिखित में भरोसा देने की पहल नहीं की तो वे 21 फरवरी से अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं ठप कर देंगे। इस फैसले से यह तय है कि आने वाले दिनों में सरकारी अस्पतालों में प्राथमिक उपचार की आश में जाने वाले करीब तीन से चार लाख से अधिक मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
फूल प्रूफ तैयारी, वादाखिलाफी का आरोप:
फोर्डा अध्यक्ष डॉ. विवेक चौकसे ने बताया कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में रविवार को फूल प्रूप तैयारी की समीक्षा की गई। बैठक में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी), डॉ. आरएमएल हॉस्पिटल, एमएएमसी, भगवान महावीर अस्पताल सहित कई अन्य अस्तालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। गत 6 फरवरी को एफडीआरए, आरडीए और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के छात्र परिषदों सहित एलएमएमसी ने एनएमसी के विरोध में इंडिया गेट पर जो विरोध प्रदशर्न किया और पीएमओ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को एनएमसी के खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया। सक्षम अधिकारियों के साथ इस मसले पर दोबारा बैठक भी की लेकिन इस मामले में उनकी ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी गई। जिसके बाद विरोध को तेज करने का निर्णय लिया गया है।
एम्स आरडीए ने किया हड़ताल से किनारा :
फोर्डा की कवायद से एम्स आरडीए ने किनारा करने के संकेत दिए हैं। आरडीए के अध्यक्ष डा. हरजीत सिंह भट्टी ने बताया कि एम्स के डॉक्टर एनएमसी बिल के खिलाफ जरूर हैं लेकिन हड़ताल जैसे विरोध का यह समय सही नहीं है। एम्स एक स्वायत्त और प्रतिष्ठित संस्थान है। एम्स जैसे संस्थान में डॉक्टर आम जनता के हित को प्राथमिकता देते हैं। आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डा. विजय गुर्जर के मुताबिक एम्स आरडीए विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध जताने के पक्ष में है।
मामला है विचाराधीन, आंदोलन बेमानी:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संसदीय समिति के सचिव राकेश नथानी ने कहा कि एनएमसी बिल इस समय स्टैंडिंग कमेटी के पास विचाराधीन है। ऐसे में जबतक स्टैंडिंग कमेटी सदन के पटल पर अपनी सिफारिश नहीं रखती, इस मामले में खुद प्रधानमंत्री भी कुछ नहीं कर सकते हैं। हाल में ही 12, 13 और 16 फरवरी को इस मुद्दे पर गंभीर बैठक हो चुकी है। जिसमें उन्होंने बिल के स्टैडिंग कमेटी के पास होने की बात कही थी और यह भी स्पष्ट किया था कि कमेटी की राय आने के बाद ही सरकार कुछ कर सकेगी। ऐसे में हड़ताल करने महत्वहीन साबित होगा और इससे आम मरीजों को परेशानी होगी। स्टैंडिंग कमेटी 5 मार्च के सत्र में बिल को लेकर सदन में अपनी राय जाहरि कर सकती है।

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