ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) जीवन भर दे सकता है दर्द -इलाज की जरूरत: 100 में से 3 लोग किसी न किसी रूप में ओसीडी से पीड़ित हैं -युवा वर्ग है ज्यादा इसकी गिरफ्त में

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया है कि जिन लोगों में जिम्मेदारी की तीव्र भावना होती है, वे जुनूनी बाध्यकारी विकार या ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर (ओसीडी) या सामान्यीत चिंता विकार (जीएडी) के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। जो लोग इस हालत से पीड़ित हैं, वे भी नहीं जानते कि उन्हें यह समस्या है। जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है कि ओसीडी के लक्षण लोगों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में बाधा डाल सकते हैं या संकट पैदा कर सकते हैं।
ओसीडी क्या है:
ओसीडी एक आम, पुरानी और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसमें एक व्यक्ति में बेकाबू, पुन:विचार करने वाले विचार और व्यवहार (मजबूरियां) होते हैं जो उसे कोई कार्य बार-बार दोहराने के लिए मजबूर करते हैं। ओसीडी वाले लोग अपने कायरे और विचारों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। उन्हें विास होता है कि असंतुलन बना रहने के दौरान जीवन सामान्य नहीं रह सकता। वे अपने विचारों को असाधारण महत्व देते हैं, उन्हें लगातार आासन की जरूरत होती है, हर चीज पर शक करते हैं और इनका ध्यान सटीकता और व्यवस्था पर लगा रहता है।
एक्सपर्ट्स की नजर में:
पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. राज कुमार के अनुसार नशा आमतौर पर शराब, तंबाकू और ड्रग्स जैसे मादक द्रव्यों के सेवन से जुड़ा हुआ माना जाता है। नेशनल इंस्टीटय़ूट अन ड्रग एब्यूज ने लोगों में ड्रग्स लेने के लिए अलग-अलग कारणों को सूचीबद्ध किया है, जैसे कि अच्छा महसूस करने के लिए, आनंद की भावना के लिए, बेहतर महसूस करने के लिए, तनाव को दूर करने के लिए, बेहतर करने के लिए, प्रदर्शन में सुधार, जिज्ञासा और साथियों का दबाव आदि। हालांकि, केवल ड्रग्स ही नहीं, बल्कि कुछ निश्चित व्यवहार भी हैं जिन्हें नशे के रूप में वर्गीत किया जा सकता है। ओसीडी इसी के अंतर्गत आता है। इस स्थिति से पीड़ित लोगों में अनियंत्रित, आवर्ती विचार और व्यवहार होते हैं, और बार-बार एक क्रिया को दोहराने का मन करता है – इनमें एक या एक से अधिक आदतों के साथ कोई लत लग जाती है। जब यह व्यवहार महत्वपूर्ण तरीके से किसी के दैनिक जीवन और दिनचर्या में हस्तक्षेप करना शुरू कर देता है, तो चिकित्सक की मदद चाहिए होती है।
विकृति इस वजह से:
पद्मश्री डा. केके अग्रवाल के अनुसार ओसीडी का कारण आमतौर पर एक सेरोटोनिन असंतुलन होता है – यह रसायन शरीर में तंत्रिका कोशिकाओं और मस्तिष्क के कार्य करने के लिए होता है। ओसीडी का समय पर उपचार और प्रबंधन करना असंभव है, जिससे समय के साथ यह अवसाद का कारण बन सकता है। ओसीडी के लिए उपचार के सामान्य तरीकों में से एक तरीका मनोचिकित्सा है। इसके अलावा संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी कुछ दोषपूर्ण मान्यताओं को दूर करने में मदद कर सकती है।
सुझाव:
स्वस्थ खाएं: चिंता और जुनूनी कायरे सहित कई व्यवहार संबंधी मुद्दों को रोकने में आंतों का स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए, ऐसा आहार लें जो फल, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर हो।
– तनाव से बचें: योग और ध्यान जैसी तकनीकें आपको अवांछित तनाव से बचने में मदद कर सकती हैं। कोशिश करें और एक पैरासिपेथेटिक जीवन शैली अपनाएं।
– नियमित रूप से व्यायाम करें: फील-गुड हार्मोन को बढ़ावा देने और मस्तिष्क को ईधन प्रदान करने के लिए हर दिन लगभग 30 मिनट के लिए शारीरिक गतिविधि करें। इससे आपको बेहतर ढंग से ध्यान केंद्रित करने और चिंता कम करने में मदद मिलेगी।

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