भारत चौहान नई दिल्ली , नार्थ ईस्ट दिल्ली में बीते दिनों हुई हिंसा की दहसत बेशक कम होने में अभी और वक्त लगेगा लेकिन इसके इतर कुछ परिवार इस दर्द में सौहार्दपूर्ण कदम को निरंतर जारी रखने में महती भूमिका अदा कर रहे हैं। इसी कड़ी में मुस्तफाबाद के अल हिंद अस्पताल की पहली मंजिल दंगों में घायल लोगों का इलाज चल रहा है।
रुख्सार नामक एक शख्स इन संवेदनशील विषम परिस्थितियों में नई जिंदगी शुरू करने की हिम्मत जुटा रही है, वह दुल्हन बनी। दुल्हन के लिए 11 जोड़ी कपड़े, श्रृंगार का सामान, एक दीवार घड़ी और अलमारी समेत कई चीजें लिखी हैं। इसी बीच कोई आकर पूछता है कि लड़के के लिए दो जोड़ी कपड़े काफी रहेंगे। इस पर वहां बैठी महिलाएं कहती हैं कि नहीं कुछ और भी जोड़ दो। सांप्रदायिक हिंसा में बुरी तरह झुलस चुके उत्तर पूर्वी दिल्ली के बहुत से लोग अल हिंद अस्पताल में शरण लिए हुए हैं। ऐसे ही परिवारों में से एक है समा परवीन का परिवार। परवीन महीनों से अपनी बेटी की निकाह की तैयारी में व्यस्त थीं और लगभग पूरी तैयारी कर चुकी थीं लेकिन इस बीच दिल्ली दंगे की आंच में जलने लगी और यह आग शिवपुरी स्थित उनके घर तक भी पहुंची और धूमधाम से बेटी की शादी करने का उनका सपना टूट गया। परवीन की बेटी रूख्सार की शादी 3 मार्च को होने वाली थी लेकिन दंगे के बाद लड़के के परिवार ने निकाह से इंकार कर दिया था। एक तरफ दंगों की आग और दूसरी तरफ बेटी के रिश्ते का टूट जाना-परिवार दोहरी मार झेल रहा था।
याद करते ही थर्रा जाता है जहन:
उनका कहना है कि एक मां के लिए बेटी की शादी इस तरह से टूटते देखना बहुत बुरा है लेकिन इन सारी बुरी चीजों के बीच एक अच्छी बात ये हुई कि रिश्तेदारी में ही एक लड़का मिल गया और उसका परिवार शादी को तैयार हो गया। परवीन अपनी बेटी को सजते हुए देखा और भावुक हो जाती हैं। फिरोज का परिवार उत्तरी दिल्ली के कृ णानगर में रहता है और फर्नीचर का कारोबार करता है। खुद फिरोज एक निजी कंपनी में काम करते हैं।