भारत चौहान दक्षिण के मशहूर अभिनेता रजनीकांत ने शनिवार को कहा कि लंबे समय से पालन की जा रही मंदिर की परंपराओं में कोई भी ‘‘हस्तक्षेप’’ नहीं होना चाहिए। सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश और उसके बाद से हो रहे प्रदर्शनों पर अभिनेता की यह पहली टिप्पणी है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी को लेकर कोई दूसरा मत नहीं है। रजनीकांत ने कहा, ‘‘जब आप किसी मंदिर के बारे में बात करते हैं तो प्रत्येक मंदिर के कुछ रीति-रिवाज एवं परंपराएं होती हैं जिनका लंबे समय से पालन हो रहा है। मेरी विनम्र राय यह है कि किसी को भी उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान होना चाहिए हालांकि इस ओर भी इशारा किया कि बात जब धर्म एवं संबंधित रिति-रिवाजों की हो तो एहतियात बरतना चाहिए। सरकार ने जब से कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करेगा तभी से सबरीमला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ‘मी टू’ अभियान पर रजनीकांत ने कहा कि यह महिलाओं के लिए ‘‘हितकारी’’ था। हालांकि उन्होंने चेताया, ‘‘इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और उचित तरीके से प्रयोग होना चाहिए।
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