नई दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में तैयार इमरजेंसी और सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक को लेकर लंबे समय से चली आ रही अटकलों को अब विराम लग चुका है। केंद्र सरकार ने एम्स के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें एम्स की ओर से सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक को टेकओवर करने की दलीलें दी गई थीं। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने सफदरजंग अस्पताल के इन नवनिर्मिंत इमारतों का निरीक्षण किया। इसी दौरान यह तय हुआ है कि अगले एक महीने के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
बता दें कि इन दोनों ही ब्लॉक को मिलाकर सफदरजंग अस्पताल के पास 2800 से ज्यादा बिस्तरों की क्षमता हो जाएगी। उच्च तकनीकों से बने इमरजेंसी में 500 और सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में करीब 800 बिस्तरों की व्यवस्था है। वर्ष 1995 में सफदरजंग अस्पताल में करीब 200 बेड बढ़ाए गए थे, तब से लेकर अब तक पिछले 23 वर्षो में पहली बार अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ जाएगी।
निरीक्षण के दौरान मंत्रालय की ओर से बनी कमेटी के चेयरमेन डॉ. एके गडपायले ने बताया कि दोनों ही ब्लॉक सफदरजंग अस्पताल के लिए बनाए गए थे। इसलिए इनके स्वामित्व को लेकर विवाद होना नहीं बनता है। दोनों ही ब्लॉक पूरी तरह से तैयार हैं। निरीक्षण के बाद मंत्रालय को इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद मरीजों के लिए जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा।
बड़ा इमरजेंसी सेंटर:
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस विंग की स्थापना गरीबों की सेवा के लिए की थी, जो प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है। नेफ्रोलॉजी एंड रीनल डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डा. अनुप कुमार ने कहा कि एम्स के साथ साथ सफदरजंग अस्पताल में लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते स्वास्थ्य सेवाएं मिलना मुश्किल हो रहा था। जिसके चलते वर्ष 2014 में इमरजेंसी और सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक सफदरजंग अस्पताल में बनना शुरू हुआ। करीब 1330 करोड़ की लागत से सरकार ने इन इमारतों को बनाया। लेकिन इसके बाद एम्स ने सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक की मांग करना शुरू कर दिया था। बस यहीं से ये विवाद शुरू हुआ, जिसे मंत्रालय ने बुधवार को विराम लगाते हुए स्वामित्व सफदरजंग अस्पताल को दिया।
ज्ञान प्रकाश दिल्ली