अनाप सनाप पेशेंट्स बिल वसूलना भारी पड़ेगा, नर्सिगं होम्स प्रबंधन को! -सख्त कानून की तैयारी: पैथोलॉजी लैब और नर्सिंग होम के पंजीकरण और विनियमन के लिए विधेयक लाएगी सरकार

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, राजधानी दिल्ली में पैथोलॉजी लैब और छोटे क्लीनिक और र्नसंिग होम के पंजीकरण और विनिमयन के लिए दिल्ली सरकार दिल्ली स्वास्थ्य विधेयक लाने की फूल प्रूफ तैयारी कर ली है। विधि विशेषज्ञों से भी परामर्श लिया गया है। साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अधिकारियों का भी इस मुद्दे पर अहम राय ली गई है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इन नर्सिग होम्स, पैथलैब्स में मरीजों को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं मिले। पेशेंट केयर के मामले में नियम लुंज पुंज है। नतीजतन इलाज में कथित लापरवाही, ज्यादा शुल्क वसूलने संबंधी नित नए समाचार सुर्खियों में रहता है। इस समस्या को जड़ से दूर करने के लिए ही सरकार ने यह रणनीति तैयार की है। तैयार विधेयक में केंद्रीयकृत शुल्क पण्राली पर भी जोर दिया गया है। इस समय राजधानी में करीब 1708 पंजीकृत नर्सिग होम्स हैं। इसके अलावा करीब 800 नर्सिग होम्स 10 बिस्तरों वाले भी है। इनमें कई तो अब तक पंजीकृत तक नहीं है।
खास बातें:
इस विधेयक के तहत सरकार पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों के पंजीकरण के अलावा इनकी गुणवत्ता, सुविधाओं पर भी नजर रख सकेगी। यह विधेयक पारित होने पर र्नसंिग होम और अस्पतालों के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि वे उनके यहां आने वाले गंभीर हालत में आए मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर करने से पहले उनकी हालत को स्थिर करेंगे ताकि दूसरे अस्पताल में जाने से पहले मरीज की जान को खतरा न हो। फिलहाल राजधानी दिल्ली में र्नसंिग होम और अस्पतालों की कई ऐसी शिकायतें आई हैं कि वे गंभीर हालत में आए मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार दिए दूसरे अस्पतालों में भेज देते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने स्वास्थ्य विभाग को इस विधेयक के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। अगले माह इसे सरकार की केबिनेट में पेश किया जाएगा। आठ सदस्यीय विशेषज्ञों की एक हेल्थ कमेटी ने इस विधेयक को तैयार किया है। तैयार विधेयक को स्वास्थ्य सचिव को भेजा गया है जिसकी पुर्नसमीक्षा की गई। संतोषजनक समीक्षा पाए जाने पर इसे पुन: स्वास्थ्य मंत्री को भेज दिया गया। उम्मीद है कि इस अब नये साल 2019 के जनवरी माह में इसे कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। जो राजधानीवासियों के लिए नए साल का तोहफा होगा।
क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जरूरत नहीं:
स्वास्थ्य सचिव संजीव खेरवाल ने इस आश्य की पुष्टि करते हुए बताया कि यह विधेयक केंद्र सरकार के क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 की जरूरतों को पूरा करेगा। अभी तक केंद्र के क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को अरु णाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनाया है। हाल ही में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस एक्ट को दिल्ली में लागू न होने पर केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाए थे। तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप सरकार की लापरवाही के कारण ही लैब रजिस्ट्रेशन और विनियमन के लिए कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली के हजारों लैब में से केवल 132 लैब ही एनएबीएल द्वारा एक्रीडेटिड हैं। जो जांच की जाती है वे हर लैब की अलग परिणामों वाली होती है। मरीज और डाक्टर की इस मामल में कन्फ्यूज्ड हैं।

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