ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , एनएमसी बिल 2019 के विरोध में बुधवार को देश की राजधानी दिल्ली समेत देशभर के निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं आंशिक रूप से ही प्रभावित रही। फ्रोर्टिस, मैक्स, सरगंगाराम, बीएलके समेत 1607 नर्सिग होम्स व निजी क्लिीनिकों में मरीजों का इलाज ओपीडी में कुछ देर से शुरू किया गया। हालांकि कुछ अस्पतालों के डाक्टरों ने तर्क दिया कि वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हड़ताल संबंधी अपील से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. गिरीश त्यागी ने कहा कि कुछ ही अस्पताल के डाक्टर आईएमए के इस आंदोलन में शामिल हुए। आईएमए ने 24 घंटे की हड़ताल की घोषणा की थी।
यह हड़ताल बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे तक जारी रही। इसके बाद दूसरे चरण की हड़ताल का फैसला बुधवार लिया गया। इसके तहत अगले 24 घंटे तक स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से ठप करने का ऐलान किया गया है। हालांकि इमरजेंसी, कैजुअल्टी, आईसीयू और अन्य संबंधित सेवाएं सामान्य रूप से जारी और अप्रभावित रहेंगी। मरीजों ने बताया कि उन्हें तो सामान्य दिनों की तरह स्वास्थ् य सेवाएं मिली।
आईएमए प्रेरित कर रहा है मेडिकल स्टूडेंट्स को हड़ताल में शामिल होने के लिए:
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र के हर सदस्य को इस हड़ताल में भाग लेने के लिए कहा गया है। स्थानीय और स्टेट की सभी ब्रांच इस भूख हड़ताल में पूरी तरह से सहयोग करेंगी। मेडिकल के सभी छात्रों से अनुरोध किया गया है कि वे कक्षा में न जाकर अपनी स्कॉलरशिप के लिए इस विरोध प्रदशर्न में भाग लें। ऐसा वे आईएमए के दबाव में कर रहे हैं।
अधिकारी ने दी सफाई:
आईएमए के महासचिव डा. आरवी असोकन ने बताया कि इस बिल को पास करके लोकसभा ने हेल्थकेयर सेक्टर और मेडिकल शिक्षा को बहुत बड़े खतरे में डाल दिया है। एनएमसी बिल में धारा 32, आधिनुक चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए लगभग 3.5 अयोग्य लोगों को लाइसेंस देता है। सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, जिससे आधुनिक चिकित्सा से जुड़े किसी भी व्यक्ति को एनएमसी बिल से रजिस्टर किया जा सके और मेडिकल शिक्षा के अभ्यास के लिए आसानी से लाइसेंस दिया जा सके। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति जो मेडिकल से संबंध नहीं रखता है, वो आधिनुक चिकित्सा का अभ्यास कर सकता है और अकेले ही परामर्श दे सकता है। यह बिल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।