मानसिक विकृतियों से जूझ रहे मरीजों, परिजनों के चेहरे पर खुशी लाना मनोचिकित्सकों के लिए जरूरी: डा. देशाई

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, मानसिक विकृतियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए मनोचिकित्सकों को प्रयास करना चाहिए। यह बात मानव व्यवहार एवं संबंद्ध विज्ञान संस्थान (इहवास) के निदेशक डा. निमेश देशाई ने कही। वे शनिवार को संस्थान परिसर के कन्वेंशन हाल में इहबास हेल्थ एम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से आयोजित वाषिर्क एवं सांस्कृतिक समारोह के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। डा. देशाई ने बताया कि इस संस्थान में अनुबंध पर सेवारत कर्मचारियों का कार्यकाल 58 साल से बढ़ाकर 60 साल करने पर विचार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत का दौर जारी है। दरअसले इसके पहले इस मुद्दे की तरफ दिल्ली सरकार में दिल्ली एडवाइजरी कान्ट्रेक्ट लेबर बोर्ड के सदस्य गुलाब रब्बानी ने डा. देशाई का ध्यानाकषिर्त करते हुए कहा था कि यदि अनुबंध पर सेवारत इहबास कर्मियों के कार्यकाल की अवधि 60 साल कर दी जाए तो उनके जीवन के लिए बेहतर कदम होगा। रब्बानी ने कहा कि पैरामेडिकल कर्मचारी अपनी पहचान को तरस रहे हैं इस दिशा में इहबास प्रशासन का योगदान सराहनीय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मनीष सांखला ने किया। इहबास के संयुक्त निदेशक एसके सिंह, डीएमएस डा. दीपक कुमार, न्यूरो फार्माकॉलोजी विभाग की प्रमुख डा. संगीता शर्मा, पैथालॉजी यूनिट की हेड डा. सुजाता, न्यूरोलॉजी यूनिट की डा. सुमन, एसोसिएट प्रो. डा. रचना, डीएसपीटक्षएक के महासचिव जयप्रकाश ने इस मौके पर अपने विचार रखे।

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