ज्ञान प्रकाश , नीति आयोग के विशिष्ट फेलो रामगोपाल अग्रवाल ने शनिवार को यहां कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन यह संकट से नहीं गुजर रही। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसे सुधारों की जरूरत थी, लेकिन इनका क्रियान्वयन हड़बड़ी में किया गया। अग्रवाल ने भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स में कहा, ‘‘मेरी निजी राय में देश मुश्किल परिस्थितयों से जूझ रहा है लेकिन यह संकट का दौर नहीं है। जो सुधार किये गये, वे आवश्यक थे लेकिन उनका क्रियान्वयन जल्दबाजी में किया गया।’’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी वास्तव में नोटबंदी नहीं बल्कि नोटबदली था। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में काला धन भर गया था। लेकिन विमुद्रीकरण जो किया गया उसके क्रियान्वयन से पहले और विचार करने की जरूरत थी।’’ अग्रवाल ने जीएसटी के बारे में कहा, ‘‘मेरी निजी राय में यह एक अच्छा कदम था लेकिन इसके क्रियान्वयन से पहले पर्याप्त तैयारी नहीं की गयी। यही आईबीसी के साथ भी हुआ।’’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पर इन सुधारों का कुछ असर पड़ा है। अग्रवाल ने आर्थिक वृद्धि के बारे में कहा, ‘‘निजी तौर पर मुझे लगता है कि अच्छी आर्थिक वृद्धि के लिये समावेश सबसे महत्वपूर्ण कारक है। लैंगिक समानता सुनिश्चित करते हुए सभी जातियों व समुदायों को शामिल किया जाना चाहिये।’’ उन्होंने कहा कि समृद्धि के लिये देश की अर्थव्यवस्था को अगले 15 साल तक कम से कम आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की जरूरत है।
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