मोबाइल फोन के लंबे समय तक इस्तेमाल और टाइपिंग से भी टेनिस एल्बो! -बार-बार इस्तेमाल से बचें और मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से ब्रेक लें -जीटीबी हास्पिटल से संबंद्ध यूसीएमएस के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में किया खुलासा

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , हाल के शोध के अनुसार, टेनिस एल्बो का बिना सर्जरी के भी प्रभावी ढंग से इलाज हो सकता है। यह एक दर्दनाक क्रोनिक कंडीशन है, जो कामकाज में नतीजे खराब करने के अलावा जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है। गुरुतेग बहादुर अस्पताल से संबंद्ध यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साईसेज (यूसीएमएस) के शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रांसकैथेटर आर्टेरियल एम्बोलिसेशन (टीएई) के माध्यम से इस हालत को ठीक किया जा सकता है। इस विधि में, एक इमेज-गाइडेड, गैर-सर्जिकल उपचार किया जाता है, जो सूजन और दर्द को कम करने के लिए घायल क्षेत्र में असामान्य रक्त प्रवाह को कम करता है। अध्ययन में दिल्ली के 87 स्कूलों समेत 157 निजी और सरकारी संस्थानों के 5678 लोगों को शामिल किया गया। 12 सरकारी समेत 19 निजी अस्पतालों के डाक्टरों से सुझाव मांगा गया।
ऐसे होता है:
टेनिस एल्बो, जिसे लेटरल एपिकन्डिलाइटिस के रूप में भी जाना जाता है, दोहराए जाने वाले स्ट्रेस से लगी चोटों से होता है। ऐसी चोटें खेल, टाइपिंग तथा बुनाई जैसी गतिविधियों से लगती है। यह चोट बढ़ई, रसोइया और असेंबली लाइन के कर्मचारियों में आम है। इस हालत का इलाज करना मुश्किल हो सकता है, जिससे कई रोगी सरलतम कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं, जैसे कि अपने बच्चों को उठाना, खाना पकाना, या यहां तक कि कंप्यूटर पर काम करना।
विशेषज्ञों की नजर में:
पद्म श्री अवार्डी डा. केके अग्रवाल ने कहा, जबकि टेनिस एल्बो अनिवार्य रूप से खेल और अन्य गतिविधियों के कारण होता है, टाइपिंग के लिए मोबाइल फोन का व्यापक उपयोग भी एक कारण के रूप में उभर रहा है। ब्लैकबेरी थंब एक निओलॉगिज्म है, जो पीडीए, स्मार्टफोन या अन्य मोबाइल उपकरणों पर बटन दबाने के लिए अंगूठे के लगातार उपयोग के कारण चोट लगने से होता है। अन्य चार उंगलियों की निपुणता की इसमें जरूरत नहीं पड़ती। यह उन लोगों में विशेष रूप से आम है, जो टच टाइपिंग के उलट, तेज गति से ऐसी डिवाइसेस पर टाइपिंग करते हैं। ब्लैकबेरी थंब के लक्षणों में अंगूठे या कभी-कभी अन्य उंगलियों और कलाई में दर्द या कम्पन शामिल है। सेलफोन एल्बो कोहनी में होने वाला एक दर्द है, जो एक लचीली स्थिति में मोबाइल फोन के उपयोग की वजह से उलनार तंत्रिका के खिंचाव से उत्पन्न होता है। हैंड्स-फ्री सेट के इस्तेमाल से इसे रोका जा सकता है।
अध्ययन से जुड़े यूसीएमस के प्रोफेसर डा. एनके अग्रवाल के अनुसार अब तक, यह बहस चली आ रही है कि मोबाइल रेडिएशन मस्तिष्क र्केसर का कारण बन सकते हैं या नहीं। हाल ही में, मोबाइल फोन के उपयोग से संबंधित बीमारियों का एक नया स्पेक्ट्रम चिकित्सा पेशे से जुड़ा हुआ है और यह अनुमान है कि अब से 10 साल बाद ये सब एक महामारी का रूप ले लेंगे।
सुझाव:
-इलेक्ट्रनिक कर्फ्यू: यानी सोने से 30 मिनट पहले किसी भी इलेक्ट्रनिक गैजेट का उपयोग न करना।
-फेसबुक की छुट्टी: हर तीन महीने में 7 दिन के लिए फेसबुक से दूरी बना लें।
-सोशल मीडिया फास्ट: सप्ताह में एक बार पूरे दिन सोशल मीडिया के उपयोग से बचें।
-अपने मोबाइल फोन का उपयोग केवल तब करें जब आप घर या दफ्तर से बाहर हों।
-दिन में तीन घंटे से अधिक समय तक कंप्यूटर का उपयोग न करें।
-अपने मोबाइल टॉक टाइम को एक दिन में दो घंटे से अधिक न होने दें।
-मोबाइल की बैटरी को दिन में एक से अधिक बार रिचार्ज न करें।
-मोबाइल भी अस्पताल में संक्रमण का एक स्रेत हो सकता है, इसलिए, इसे हर रोज कीटाणुरहित करें।

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